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________________ दस हजार पुत्र कहे जासकते हैं परंतु असंभव को संभवनीय कहना अयथार्थ है । पुरुरवा को दस हजार पुत्र होना संभवनाय नहीं; तोभी प्रजा पुत्र समान ही होने के कारण पुराण लेखक असत्य का दोषी नहीं होता। ये दस हजार पुरुष क्षत्रिय योद्धा होना ठीक और सयुत्तिक है। एवं श्रीमाल को आने के पश्चात ही ये दस हजार योद्धा समुच्चयरूप में “प्राग्वाट कहाये” एतदर्थ पोरवाडों की उत्पत्ति श्रीमाल से कहना ही ठीक है। उक्त श्रीमाल नगर जो भी द्वादश वर्षीय दुष्काल के कारण नष्ट होगया है तो भी पोरवाड तथा अन्य श्रीमाली ज्ञातियोंने उसे भूल जाना लांछनास्पद है; परंतु खेद है कि कई श्रीमाल के सुपुत्र अपनी जन्म-भूमि के नाम को भी आजकल नहीं जानते हैं। पोरवाडों के गोत्र । इस ज्ञाति के गोत्र पाठकों के सन्मुख रखने के पहिले गोत्र किसे कहते हैं इस बात का विवरण करने की आवश्यकता है । अमरकोष में गोत्र के अर्थ में निम्नोक्त शब्द बताये है: संतति, गोत्रम् जननमकुलम, अभिजनः, अन्वयः, वंशः, अन्ववायः, संतानः ( अमर. ब्रम्हवर्ग श्लो. १)
SR No.032004
Book TitlePorwar Mahajano Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorThakur Lakshmansinh Choudhary
PublisherThakur Lakshmansinh Choudhary
Publication Year
Total Pages154
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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