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________________ ५२७ वें वर्ष में श्रीमहावीर का निर्वाण काल निश्चित होता है। एवं ऊपर कहे अनुसार श्री वीर संवत ७० याने ई. स. पूर्व ४५७ वें वर्ष में ही ओसवालों की उत्पत्ति निश्चित हुई। पोरवाड ज्ञाति की उत्पत्ति के संबंध में जो जो भिन्न भिन्न प्रमाण उपलब्ध हुए हैं वे प्रथम जैसे के तैसे पाठकों के सन्मुख रखकर उनमें से सयुक्तिक प्रमाण सिद्ध और विश्वास पात्र कौनसा है इस संबंध का समालोचनात्मक विचार आगे करेंगे । श्रीमाल पुराण में लिखा है कि श्री विष्णु ने श्रीमाल नगर में ४५ हजार ब्राह्मण और ८० हजार व्यवहारियों को बसाये । पश्चात् दो ब्यवहारी के साथ एक ब्राह्मण के पालन का नियमन किया । इस अवस्था में ५० हजार व्यवहारी की कमि रही। तब भगवान, गंगा यमुना के दोआब में राज्य करने वाले पुरखा राजा के पास गये और कहा कि श्रीमाल में मुझे चौरासी ज्ञातियों की स्थापना करना है । इसमें दस हजार व्यवहारियों की कमि आई है । अतएव तुह्मारी प्रजा में से दसहजार पुरुष दो। राजा ने उत्तर दिया कि मैं मेरे पुत्रों को वहां बसने को भेजता हूं; परंतु व अंत्यज [ पीछे की प्रजा] गिने जावेंगे । तब श्री विष्णु ने कहा कि ऐसा नहीं होगा । वह उच्च ज्ञाति ही रहेगी। इस प्रकार समझाकर भगवान ने दसहजार पुरुषों
SR No.032004
Book TitlePorwar Mahajano Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorThakur Lakshmansinh Choudhary
PublisherThakur Lakshmansinh Choudhary
Publication Year
Total Pages154
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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