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________________ . २८ उप्तत्ति श्रीमाल से जाकर ओसिया में वसने के पश्चात् रत्नप्रभ सूरि के समय श्रीवीरात् ७० विक्रम संवत् पूर्व चारसो वर्ष और इसवी सन पूर्व ४५७ वे वर्ष में हुई है । जैनों के तेईसवें तीर्थंकर श्रीपार्श्वनाथ भगवान से रत्नप्रभ सूरि छटे पाटवी हुए। . इतिहास लेखकों में उक्त समय की गणना में कुछ मत भिन्नता है । History and Literature of Jainism के लेखक मि. व्ही. डी. बरोदिया ने श्रीपार्श्वनाथ भगवान का जन्म ई० के पूर्व ८१७ में होना लिक्खा है। इसको प्रमाणभूत मानकर यदि हिसाब लगावें तो काल गणना में महदंतर है। आज महावीर संवत २४५६ ई० स० १९२९ वि. स. १९८६ है। श्री महावीर की आयु बहत्तर वर्ष की थी। श्री पार्श्वनाथ की आयु १०० वर्ष की थी । इस हिसाब से१०० वर्ष पार्श्वनाथ की आयु. एकंदा २५० वर्ष पश्चात् महावीर का जन्म. र २८७८ ७२ वर्ष श्रीमहावीर की आयु.. । वर्ष हुए. २४५६ वर्ष श्रीमहावीर के निर्वाण को हुए. ) ___ इन २८७८ में से ई० सन् के १९२९ घटाने से ९४९ वर्ष बाकी रहे। अर्थात् ई० स० पूर्व ९४९ वें वर्ष में श्रीपार्श्वनाथ का जन्म होना निश्चित होता है । ई० स० पूर्व ५९९ वें वर्ष में श्रीमहावीर का जन्मकाल तथा ई० स० पूर्व
SR No.032004
Book TitlePorwar Mahajano Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorThakur Lakshmansinh Choudhary
PublisherThakur Lakshmansinh Choudhary
Publication Year
Total Pages154
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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