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________________ वध करना। इस प्रकार उच्चवर्ण की स्त्री को निम्नवर्ण के पुरुष का संसर्ग न हो एतदर्थ उक्त कठिण बंधन रक्खे गए। - निम्न वर्ण का पुरुष उच्च वर्णीया कन्या से विवाह करे तो वह नीची कही जावे, यह तो ठीक परंतु उच्च वर्णीय पुरुष यदि निम्न वर्णीय कन्या से विवाह करे तो क्या वह उच्च वर्णीय माता पिता की कन्या के बराबरी की हो सकती है ? इस प्रकार के मत्सर के कारण ऐसे नियम बने कि, उच्च वर्ग का पुरुष स्ववीया तथा निम्न वर्णीया कन्या के साथ भी विवाह कर सकता है। परंतु निम्न वर्ण की कन्या से उत्पन्न प्रजा धर्म क्रियाओं में, सांसारिक मान सन्मान में तथा दाय भाग में सवर्ण की कन्या से उत्पन्न प्रजा की बराबरी न कर सकेगी। मात्र उच्च वर्ण के पुरुष से संबंध करने का लाभ यह होगा कि, ऐसी युग्मोत्पन्न प्रजा कन्या जिस वर्ण की हो उससे किंचित उच्च वर्ण की समझी जावे । जैसे:-ब्राह्मण ब्राह्मणज्ञाति की कन्या से विवाह करे तो इनसे होने वाली प्रजा ब्राह्मण हो और जो क्षत्रिय जाति की कन्या से विवाह करे तो इनसे होने वाली प्रजा ब्राह्मण नहीं परंतु "मूर्धाभिशिक्त” राज्याभिषेक करने योग्य उच्चप्रकार की क्षत्रिय जाति की हो । ब्राह्मण वैश्य स्त्री से विवाह कर जो प्रजोत्पादन करे तो वह "अंबष्ठ" वैश्य से जरा उच्च वर्णीय समझा जावे; और वह मनुष्य तथा हाथी घोड़े की वैद्यकी कर निर्वाह करने वाली जाति हो। वैसे ही ब्राह्मण से विवाहित शूद्र
SR No.032004
Book TitlePorwar Mahajano Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorThakur Lakshmansinh Choudhary
PublisherThakur Lakshmansinh Choudhary
Publication Year
Total Pages154
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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