SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 23
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ करे तो वह प्रजा (तेली) जाति की हो उसने तेल तथा नमक बेचने का धन्धा करना । यदि शूद्र क्षत्रिय कन्या से प्रजोत्पत्ति करे तो वह " पुलकस " ( कलाल ) जाति की ९ हो । उसने मदिरा तथा शहद बेचने का धंदा करना । यदि शूद्र क्षत्रिय स्त्री से व्यभिचार कर प्रजोत्पत्ति करे तो वह प्रजा " रंजक ” || (रंगरेज) जाति की हो और यदि शूद्र ब्राह्मणी से प्रजोत्पत्ति करे तो वह प्रजा ' चडांल' ( भंगी ) + ज्ञाति की हो । इसने सीसा वा लोहे के आभूषण पहनना, गले में चमडा और बगल में झालर बांधना दो प्रहर पहिले ग्राम का मैला साफ करना और दोपहर के बाद गांव में जाना नहीं । गांव के बाहर नैऋत्य कोन में इस जाति के सब लोगों ने एकत्र रहना । जो कोई इस नियम का पालन न करे उसका 1 66 चक्री 19 * * वैश्यया शुद्रतश्चायी जातश्चक्रीच उच्चते [ औौः स्मृ. २२ ] ९ नृपायां शूद्र संसर्गाज्जातः पुल्कस उच्चते । सुरा वृत्तिं समारूह्य मधु विक्रय कर्मणा ॥ [ औ. स्मृ. १७ ] || नृपायां शूद्रत चैौर्याज्जातो रंजक उच्यते [ औ. स्मृ १९ ] ब्राह्मण्यां शूद्र संसर्गाज्जातश्चांडाल उच्यते [ श्लोक ८ ] सीसका भरणं तस्य कार्ष्णाय समथापिवा । वनी कंठे समावध्य झलरीं कक्षतोपिवा ॥ ९॥ मलाप कर्षणं ग्रामे पूर्व हे परि शुद्धिकं । न हे प्रविष्टोपि बहिग्रमाश्च नैरुते || १७ ॥ पिण्डी भूता भवंत्य नोचड वध्या विशेषतः ॥ १० ॥ ( औ. स्मृ. )
SR No.032004
Book TitlePorwar Mahajano Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorThakur Lakshmansinh Choudhary
PublisherThakur Lakshmansinh Choudhary
Publication Year
Total Pages154
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy