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________________ किया था। इन लेखों के अतिरिक्त छोटे छोटे जिनालयों में से बहुधा प्रत्येक द्वार पर भी सुंदर लेख खुदे हुए हैं। इस मंदिर को बनवाकर तेजपालने अपना नाम अमर किया इतनाही नहीं किन्तु उसने अपने कुटुंब के अनेक स्त्री-पुरुषों के नाम अमर कर दिये । इस मंदिर में जो छोटे छोटे बावन जिनालय है उनके द्वारपर उसने अपने संबंधियों के नाम के सुंदर लेख खुदवा दिये हैं। प्रत्येक छोटा जिनालय उनमें से किसी न के निमित्त बनवाया गया था। मुख्य मंदिर के द्वार के दोनों तरफ बडी कारागिरी से बने दो ताक हैं। इनमें से एक वस्तुपाल की स्त्रीने और एक तेजपाल की स्त्रीने अपने अपने निजी । व्यय से बनवाया था ऐसा आचार्य थी शांतिविजयजी "जैन तीर्थ गाईड" में लिखते हैं परंतु वह ठीक नहीं है। वास्तव में ये दोनों ताक वस्तुपालने अपनी दुसरी स्त्री सुहडा देवी के श्रेय के निमित्त बनवाय थे। मुहडा देवी पट्टन के रहने वाले मोढ जाति के महाजन ठाकुर जाल्हण के पुत्र ठकुर आसाकी । पुत्री थी ऐसा उनपर खुदे , हुए लेखों से ज्ञात होता है । ( यह लेख' इसी पुस्तक में दुसरी जगह दिया गया है)। इस मंदिर की हस्तिशाला में बहुत ही सुंदर संगमरमर की दस हथनियां हैं, जिनपर चंडप, चंडप्रसाद, सोमसिंह, अश्वराज लुणिग, मल्लदेव, वस्तुपाल, तेजपाल, जैत्रसिंह और लावण्यसिंह (लुणसिंह ) की बैठी मूर्तियां थी परंतु अब
SR No.032004
Book TitlePorwar Mahajano Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorThakur Lakshmansinh Choudhary
PublisherThakur Lakshmansinh Choudhary
Publication Year
Total Pages154
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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