SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 31
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( त्रिस्तुति परामर्श. ) २१ ( जवाब.) सवालकर्त्ता किसगछका है जाहिर करे, उसपर जवाब दिया जायगा. ४ - नवीन आचार्य किसको कहते हो और प्राचीन आचार्य किसको कहतेहो ? (जवावं.) ब - हुक्म तीर्थकर गणधरोंके चले वह माचीन-औरखिलाफ हुक्म चले वह नये आचार्य जानना. ५ ---- सवाल, गुहपति व्याख्यानके वख्त कान में डालना कि- नही, ? ( जवाब . ) व्याख्यानके वख्त-या तमाम दिन- मुहपर मुदपत्ति बांधना -या- कानमें डालना - किसी जैनशास्त्रमें नही लिखा, पेस्तर बहुत कुछ बयान इसके बारेमें दे चुके है, पढनेवालोंने पढाहोगा, शास्त्र औघनियुक्तिका खुला पाठहै- जल्पद्मिर्मुखे दीयते, अगर बांधना मंजूर होता तो वध्यते एसा पाट होता, मगर कैसे हो ? तीर्थकर गणधरोंका हुक्मही नही तो पाठ कहांसें आवे ? (१८) (जवाब दुखगर्भितवैराग्यका, ) प्रश्नोत्तरपत्रिका पृष्ठ ( ५ ) पर दलील है कि - " घरमें खाने के दुखसें अर्थात् आजिविका पुरी - नं - होनेसे दीक्षालेकर थोडेसे पढकर गुर्वा - दिकों के प्रत्यनीक " "यहां पर्देका क्या ! कामहै ? " - इत्यादिवच - नबोलनेवाला, "सर्वज्ञभाषितवचनोका उध्थापन करनेवाला, चतुर्विधसंघका प्रत्यनीक - अन्यायरत्न - अशांतिका करनेवाला" - वगेरा वगेरा, ( जवाब . ) सर्वज्ञभाषितवचनकों उथ्थापनकरनेवाला - और -
SR No.032003
Book TitleTristuti Paramarsh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShantivijay
PublisherJain Shwetambar Sangh
Publication Year1907
Total Pages90
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy