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________________ गुरु-शिष्य निमित्त ही उपकारी है। इन स्कूलों को बंद कर दिया जाए तो? ऐसा समझें कि, 'बच्चे होशियार होंगे, उपादान होगा, उस समय निमित्त आ मिलेगा।' ऐसा करके सारे स्कूल हटा दिए जाएँ तो? प्रश्नकर्ता : वह तो नहीं चलेगा। लेकिन यह तो व्यवहार की बात हुई सारी। दादाश्री : नहीं, व्यवहार में भी वही बात और इसमें (निश्चय में) भी वही बात न! इसमें भी निमित्त की पहले ज़रूरत है। यहाँ स्कूल हटा दिए जाएँ, किताबें हटा दी जाएँ, तो कोई भी मनुष्य कुछ पढ़ेगा नहीं, लिखेगा नहीं। निमित्त होगा तो अपना काम आगे चलेगा, नहीं तो काम आगे चलेगा नहीं। तो निमित्त में क्या-क्या है? पुस्तकें निमित्त हैं, मंदिर निमित्त हैं, जिनालय निमित्त हैं, ज्ञानीपुरुष निमित्त हैं। अब ये सभी पुस्तकें, मंदिर नहीं हों तो इस उपादान का क्या होगा? अर्थात् निमित्त हों तभी काम होगा, नहीं तो काम होगा नहीं। चौबीस तीर्थंकरों ने बार-बार यही कहा है कि, 'निमित्त को भजो। उपादान कम होगा तो, निमित्त मिलेगा तो उपादान उसका जागृत हो जाएगा।' फिर भी उपादान का तो इसलिए कहना चाहते हैं कि यदि तुझे निमित्त मिलने के बाद भी उपादान तू अजागृत रखेगा, यदि उपादान तू जागृत नहीं रखेगा और तू झोंका खा जाएगा, तो तेरा काम नहीं होगा और तुझे मिला हुआ निमित्त व्यर्थ जाएगा। इसलिए सावधान रहना। ऐसा कहना चाहते हैं। उपादान अर्थात् क्या? कि घी रख, बाती रख, सब तैयार रख पूरा। ऐसा तैयार तो अनंत जन्मों से इन लोगों ने रखा हुआ है। परंतु सिर्फ दीया प्रज्वलित करनेवाला नहीं मिला। घी-बातियाँ सब तैयार हैं, परंतु प्रज्वलित करनेवाला चाहिए! इसलिए मोक्ष में ले जानेवाले निमित्त के शास्त्र नहीं मिले हैं, मोक्ष में ले जानेवाले निमित्त, ऐसे ज्ञानीपुरुष नहीं मिले हैं, वे सभी साधन मिलते नहीं हैं। वह निमित्त जिसे कहा जाता है, उसके बिना तो भटकते रहते हैं। लोग निमित्त को इस प्रकार समझे हैं कि, 'उपादान होगा तो निमित्त
SR No.030116
Book TitleGuru Shishya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2012
Total Pages158
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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