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________________ गुरु-शिष्य तक गुरु की ज़रूरत पड़ेगी । यथार्थ समकित होने के बाद गुरु की ज़रूरत नहीं रहेगी। इसमें पोल नहीं है, गुरु बिना तो चलेगा ही नहीं । ७ 'गुरु अनावश्यक', वह बात गलत प्रश्नकर्ता : कितने ही संत ऐसा कहते हैं कि गुरु बनाने की ज़रूरत नहीं है। दादाश्री : 'गुरु की ज़रूरत नहीं है' ऐसा कहनेवाले उनकी खुद की बात करते हैं। लोग उस बात को एक्सेप्ट नहीं करेंगे। पूरी दुनिया गुरु को एक्सेप्ट करती है। खराब गुरु हों, वह तो कभी हो सकता है, परंतु 'गुरु' शब्द ही निकाल दें, वह तो चलेगा नहीं न ! प्रश्नकर्ता : बहुत लोग गुरु नहीं बनाते। दादाश्री : गुरु नहीं बनाते ऐसा होता ही नहीं । ये लोग ऐसा उपदेश देने लगे कि ‘गुरु मत बनाना ।' तब से ही हिन्दुस्तान में ऐसा हो गया है । नहीं तो हिन्दुस्तान देश ने तो पहले से ही गुरु को मान्य किया है कि चाहे कोई भी, लेकिन एक गुरु रखना। उल्टा सिखाया, वह भी गुरु प्रश्नकर्ता : गुरु हों या फिर नहीं हों, इन दोनों में क्या फर्क पड़ता है? दादाश्री : गुरु नहीं हों तो रास्ते में चलते-चलते सात रास्ते आएँ तो आप कौन-से रास्ते जाओगे? प्रश्नकर्ता : वह तो मन क़बूल करता हो, वही रास्ता पकड़ेंगे। दादाश्री : नहीं, मन तो भटकने का खोज निकालकर कबूल करता है, वह कुछ रास्ता नहीं कहलाता। इसलिए पूछना पड़ेगा, गुरु बनाने पड़ेंगे। गुरु बनाकर पूछना पड़ेगा कि कौन-से रास्ते मुझे जाना चाहिए ! मतलब, गुरु के बिना तो इस दुनिया में, इतना भी, यहाँ से वहाँ तक भी नहीं चल सकते । स्कूल में अध्यापक रखने पड़े थे या नहीं रखने पड़े थे?
SR No.030116
Book TitleGuru Shishya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2012
Total Pages158
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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