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________________ समझ से प्राप्त ब्रह्मचर्य (उत्तरार्ध) चाहे कैसे भी गुनाह लेकर आए, लेकिन यदि जिंदगी में फिर से ऐसे गुनाह नहीं करे तो हर तरह से मैं उसे चोखा बना दूँ। इन लोगों ने कैसे भयंकर गुनाह किए हैं 'बहन, बहन' करके शादियाँ की हैं। लेकिन ऐसे लोगों के लिए सातवीं नर्क नहीं है। बहुत हुआ तो पहली, दूसरी, तीसरी या चौथी नर्क में जाएँगे। भयंकर जोखिमवाले अणहक्क के विषय ! इस दुनिया की कोई चीज़ बंधनकर्ता नहीं है। लक्ष्मी आदि अन्य कोई चीज़ बंधन नहीं करती। सिर्फ परस्त्री ही बंधन करती है। जहाँ परस्त्री की लूट चलती है, वहाँ बंधन है। अन्य किसी भी जगह पर दुःख हैं ही नहीं। अपना यह ज्ञान ऐसा है कि अन्य सभी से छुड़वाए, लेकिन जो परस्त्री में फँसा, वह नर्क का अधिकारी बन जाएगा। इसलिए उसमें से छूटने के लिए यहाँ 'विधि' कर लेनी पड़ेगी। अब इन्सान है, तो भूलचूक हो ही सकती है न! अतः यहाँ सिर्फ इतना ही जोखिम है। किसी से भी इसमें भूलचूक हो जाए, तो मेरे पास आकर माफ़ी माँगकर छुड़वा जाना। उसके लिए मैं विधि कर दूंगा। यह ज्ञान मिलने के बाद तरह-तरह के कर्म लेकर आए होते हैं, उनमें से कौन, कैसे बँधा होगा, यह कैसे पता चले? तू लक्ष्मी से बँधा होगा तो उसमें हर्ज नहीं है, वह दंड तुझे माफ़ करवा दूंगा। लेकिन सिर्फ यह परस्त्री का ही बड़ा दंड है। उसे माफ़ करवाने के भी नियम हैं मेरे पास। मेरे पास सभी साधन हैं। दादाजी छुड़वाएँ नर्कगति से मानवता का अधिकार कितना? कि जो खुद की परिणीता हो, अधिकार का हो उतना ही अपना और अन्य कुछ पराया नहीं ले सकते। जो मेरा वह मेरा और जो तेरा वह तेरा। तेरा मुझे चाहिए नहीं, मेरा तुझे दूंगा नहीं, वह मानवता! जिसे परस्त्री का त्याग हुआ, वह भगवान बनने लगेगा। परस्त्री, वह रोग बड़ा होगा या नहीं? बहुत बड़ा कहलाएगा! इसीसे जगत् कायम है।
SR No.030110
Book TitleSamaz se Prapta Bramhacharya Uttararddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2013
Total Pages326
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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