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________________ अणहक्क की गुनहगारी ४७ हो तो अगले जन्म में उस की बेटी बनकर खड़ी रहेगी, ऐसी इस संसार की विचित्रता है। इसीलिए तो सयाने पुरुष ब्रह्मचर्य का पालन करके मोक्ष में चले गए न! जो हक़ की मर्यादा में हैं, उनकी गारन्टी प्रश्नकर्ता : बचपन से ही मुझे लड़कियों में बहुत ही रुचि रही है। दादाश्री : लड़कियाँ देखने में या लड़कियों में? प्रश्नकर्ता : सभीकुछ है। पहले देखने में थी फिर.... दादाश्री : यही रोग है। यही पोल है। मैं यही पूछता हूँ, तुम हो कहाँ पर? यहाँ तो हो नहीं, वहाँ पर तो हो न? लड़कियों के बारे में, आपका सोचा हुआ कितना सफल हुआ? प्रश्नकर्ता : इस बारे में आज तक मुझे किसी ने कोई जानकारी दी ही नहीं। दादाश्री : परायी स्त्री या परायी लड़की पर तनिक भी दृष्टि बिगड़े तो वह भयंकर पाप है। तेरी खुद की स्त्री हो तो हर्ज नहीं है। लेकिन परायी के पीछे पड़ा तो यहाँ पर तो हरहाया रहा, लेकिन वहाँ भी (दूसरे जन्म में) दुम के साथ हरहाया होकर उछल-कूद मचाएगा। यह मनुष्य जन्म चला जाएगा। महामुश्किल से मिला यह मनुष्यपन चला जाएगा। इसलिए सावधान हो जा जरा। तुलसीदास जी को पूरा शास्त्र लिखने का अवसर तो नहीं मिला लेकिन दो ही पँक्तियाँ बोले, 'परधन पत्थर मानिए, पर-स्त्री मात समान, इतने से हरि ना मिले, तो तुलसी जमान।' कृपालुदेव तो ज़मानती बने और ये दूसरे ज़मानती। हक़ का खाए तो मनुष्य में आएगा, अणहक्क का खाए तो जानवर में जाएगा। प्रश्नकर्ता : हमने अणहक्क का खाया तो है।
SR No.030110
Book TitleSamaz se Prapta Bramhacharya Uttararddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2013
Total Pages326
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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