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________________ विषय नहीं, लेकिन निडरता वही विष रहना है न? क्या सिर्फ इन त्यागियों को ही विष नहीं पीना है? सिर्फ यह स्त्री-विषय ही विषय नहीं है। त्यागियों के भी सभी विषय होते हैं और संसारियों के भी सभी विषय होते हैं, लेकिन शास्त्रों में सिर्फ स्त्री-विषय को ही ऐसा ज़हर समान कहा गया है। लेकिन इससे उन्होंने लोगों को डरा दिया है कि 'हम तो संसारी लोग हैं। विषय विष समान हैं, फिर भी करने तो पड़ते ही हैं न!' इसलिए फिर वह उन्हें खटकता रहता है। यह गुत्थी निकाल देने योग्य है और यह जो खटकता रहता है, वह दु:ख कहलाता है। प्रश्नकर्ता : विषयों में निडरता, यदि वह विष है तो फिर जो निडरता उत्पन्न होती है, वह किसे आती है? दादाश्री : खुद निडरता रखे तो रहेगी। यदि वह अहंकार करने लगे कि, 'मैं विषय से जीत गया, अब कोई हर्ज नहीं है।' वह निडरता कहलाती है। वह अहंकार कहलाता हैं। यदि निडर रहा तो वह विष हो गया। इस विषय में तो आखिर तक निडर नहीं होना है। पुलिस के पकड़े बिना तो कोई जेल में नहीं जाता न? पुलिस पकड़कर जेल में ले जाए, तभी जाओगे न? पुलिस द्वारा ले जाए बिना कोई जेल में जाए, तो नहीं समझ जाएँगे कि वह निडर हो गया है? अगर पुलिसवाला पकड़कर जेल में ले जाए तब उसका गुनाह नहीं है। इसी तरह यदि संयोग उसे विषय के गड्ढे में गिराएँ तो उसमें हर्ज नहीं है। यदि अब्रह्मचर्य की गाँठ विलय हो जाए तब तो सबकुछ चला जाएगा। यह सारा संसार उसी पर खड़ा हुआ है। रूट कॉज़ यही है। इन लोगों के दुःख दूर करने के लिए, लोगों के मन पर से बोझ हट जाए, इसीलिए ज्ञानीपुरुष ऐसा कहते हैं कि विषय, वह विष नहीं हैं। ताकि आपको ऐसा लगे कि चलो, इतनी तो शांति हुई। __पत्नी के साथ मोक्ष, एक शर्त पर प्रश्नकर्ता : शुद्धात्मा स्वरूप होने के बाद दुनिया में पत्नी के साथ संसार व्यवहार करना चाहिए या नहीं? और वह किस भाव से? यहाँ समभाव से निकाल (निपटारा) कैसे करें? दादाश्री : यह व्यवहार तो, यदि आपकी पत्नी हो तो पत्नी के साथ
SR No.030110
Book TitleSamaz se Prapta Bramhacharya Uttararddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2013
Total Pages326
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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