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________________ समझ से प्राप्त ब्रह्मचर्य (उत्तरार्ध) भान ही नहीं है कि अब्रह्मचर्य क्या है ? और भान दिलाए ऐसी एक भी पुस्तक हिन्दुस्तान में नहीं है कि जिसमें इस भान के बारे में बताया हो ! सभी ने ऐसा कहा है कि अब्रह्मचर्य गलत है। ब्रह्मचर्य पालन करना चाहिए, लेकिन भाई, अब्रह्मचर्य कैसे बंद हो, ऐसा कोई रास्ता नहीं बताया। इस पुस्तक में सभी रास्ते हैं । २८२ ऐसा है कि लोगों को अब्रह्मचर्य की बात में क्या नुकसान है और क्या फायदा है, यह समझ में आए इसीलिए कहा है । उसमें से यह पुस्तक बनी है! इसे पढ़कर अब लोग सोचेंगे कि 'इतना नुकसान होता है ? अरे ! ऐसा तो जानते ही नहीं थे !' शादी नहीं करनी है, ऐसा नक्की किया हो तो शादी नहीं करनी है, की ओर जाना और शादी करनी है, ऐसा नक्की किया हो तो उस ओर जाना। हमें ऐसा नहीं है कि ऐसा ही करो । प्रश्नकर्ता : बिना समझे ले, तो कहते हैं कि दूसरे जन्म में बीवी, बीवी करते हुए जन्म लेगा ? दादाश्री : नहीं, लेकिन ऐसा तो काम का भी नहीं है, हाँ। समझ में तो आना चाहिए। समझ के लिए तो हमने पुस्तकें लिखी हैं। प्रश्नकर्ता : सही बात है । दादाश्री : आप कैसे जानते हो यह ? बुद्धि को भी समझ में आ जाए, ऐसी बात है। इसीलिए तो अपने यहाँ ब्रह्मचर्य की पुस्तक छप रही है । हिन्दुस्तान में सबसे पहली ! यानी आवरणिक दृष्टि से इसे सुख माना गया है। कैसा ? इसे सुख माना गया है इसलिए मैं वह उखाड़ फेंकना चाहता हूँ। इससे कई लोगों के विचार बदल गए। सब लोग समझ गए हैं। कितने भयंकर दोष हैं इसमें, इस पर तो ज़रा सोचना शुरू करेगा न इन्सान ? प्रश्नकर्ता : लेकिन यदि इस पुस्तक को पढ़े और पढ़कर यदि थोड़ाबहुत समझे तो इन्सान अच्छी तरह से लाइन पर आ जाए, पूरा का पूरा ।
SR No.030110
Book TitleSamaz se Prapta Bramhacharya Uttararddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2013
Total Pages326
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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