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________________ रहना पड़ेगा। 'मैं शुद्धात्मा हूँ', जिसके लक्ष्य में यह निरंतर रहता है, वह सबसे बड़ा ब्रह्मचर्य है। विषय कोई शौक़ की चीज़ नहीं है, निकाल करने जैसी चीज़ है। ब्रह्मचर्यव्रत होगा तो जल्दी हल आएगा। जिसे एकावतारी होना है, उसे विषय में एक सेन्ट (प्रतिशत) भी रुचि नहीं होनी चाहिए। पुलिसवाला मार-पीटकर मांस खिलाए, वैसा रहना चाहिए। ज्ञानी जगत्निष्ठा में से ब्रह्मनिष्ठा में बिठा देते हैं। उसके लिए ज्ञानी से ज्ञान प्राप्त करना पड़ता है। खरा आनंद तो सच्चा ब्रह्मचर्य हो, तभी आ पाएगा। यदि शादीशुदा हों तो दोनों की मर्जी से ब्रह्मचर्य होना चाहिए, न कि तिरस्कार करके। उदयकर्म से विषयभोग किया, ऐसा कब कहलाएगा? पुलिसवाला तीन दिनों तक भूखा रखकर मार-पीट कर मांस खिलाए, उसे उदयकर्म कहा गया है। यह तो राजी-खुशी से विषय भोगते हैं, उसे उदयकर्म कैसे कहा जाएगा? वह पोल (जानबूनझकर,लापरवाही और ढीलापन) कहलाएगी, वहाँ पह कर्म चार्ज होगा ही। जिस-जिस विषय की गाँठ टूटेगी, उस-उस विषय पर खुलेआम व्याख्यान दिया जा सकेगा। अंदर ज़रा सी भी पोल नहीं चलेगी। वर्ना उससे खुद का और बाकी, सभी का बिगड़ेगा। एक बार विषयभोग कर ले तो मनुष्य तीन दिनों तक ध्यान में स्थिर नहीं रह सकता। वीतरागों का धर्म, वह विलासियों का धर्म नहीं है। डिस्चार्ज किस भाग को कहते हैं ? चलती ट्रेन में से गिर पड़ें उसे। ब्रह्मचर्य से संबंधित ज्ञान जानकर रखना। फिर जब वह बिलीफ में आएगा, उसके बाद विषय खत्म हो जाएगा। अक्रमविज्ञान में हक़ के विषयों की छूट दी गई है, क्योंकि एक जन्म का सबकुछ डिस्चार्ज है। लेकिन फिर अन्यत्र दृष्टि नहीं बिगड़नी चाहिए। अन्यत्र बिगड़ेगी तो चार्ज हो ही जाएगा। भगवान के ताबे में रहना छोड़कर कहीं विषय के ताबे में तो फँस नहीं गए हो न? 29
SR No.030110
Book TitleSamaz se Prapta Bramhacharya Uttararddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2013
Total Pages326
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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