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________________ विषय भोग, नहीं हैं निकाली २४३ तो निरर्थक, 'यूज़लेस' होता है, जो कुत्ते-कुतिया को भी शोभा नहीं दे, ऐसा! इस ज्ञान को जान लो ज्ञान ऐसी चीज़ है, जिसे जान लेने की ज़रूरत है। ज्ञान को जान लेना। ज्ञान जानना है और वह जाना हुआ जब दर्शन में आता है, 'बिलीफ' में आता है, तब सभी विषय गायब हो जाते हैं। यह तो हम विषय से संबंधित बहुत गहरी चर्चा नहीं करते, उसका कारण यह है कि ये लोग बाह्य दृष्टि छोड़ दें, तो भी बहुत बड़ी बात है। बाह्य दृष्टि यानी, बाहर जो 'देखतभूली' होती है, यदि वह नहीं हो, तो भी बहुत हो गया। इसलिए हमने कहा है कि बाहर दृष्टि बिगड़े तो तुरंत ही प्रतिक्रमण कर लेना। उसे खुद के हक का विषय छोड़ने को नहीं कहते। क्योंकि यदि उसे हक का विषय छोड़ने को कहेंगे, तो फिर बाहर उसका बिगड़ जाएगा। अक्रम विज्ञान ने दी छूट..... प्रश्नकर्ता : लेकिन जो लोग विषय सुख भोगते हैं, उन्हें उतना नुकसान तो होगा न? दादाश्री : जितना-जितना चार्ज' हुआ है, उसमें तो हमें एतराज़ नहीं प्रश्नकर्ता : लेकिन वह 'चार्ज' हुआ है, ऐसा कह ही कैसे सकते हैं? वह तो घर में पत्नी के साथ रह रहे हों तो यह विषय तो साधारण हो चुका होता है और कई बार हो जाता है तो भी वह 'चार्ज' हुआ कहलाएगा? दादाश्री : जो 'चार्ज' हो चुका है, उससे ज़्यादा नहीं हो पाएगा। जो 'चार्ज' हो चुका है, उससे ज़्यादा हो जाए, ऐसा नहीं हो सकता। इसीलिए तो हम विषयों के लिए ऐसे छूट देते हैं न! वर्ना क्या छूट देते? वह तो ज़िम्मेदारी है और किसी ने ऐसी छूट दी भी नहीं है न?
SR No.030110
Book TitleSamaz se Prapta Bramhacharya Uttararddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2013
Total Pages326
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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