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________________ विषय भूख की भयानकता २११ प्रश्नकर्ता : उस समय उसे बोरियत होती है। दादाश्री : इन लोगों को क्या हो रहा है, वह मैं जानता हूँ। अच्छा नहीं लगता लेकिन कहें किसे अब? क्योंकि बुद्धि तो यह स्वभाव दिखाएगी। यानी यह जन्म लेने से पहले कैसा था! लड़का या लड़की जन्म के बाद कैसे होते हैं ? वह इतनी सी थी, तब क्यों मोह उत्पन्न नहीं होता था, बाद में कुछ बड़ी हुई तब क्यों मोह उत्पन्न नहीं होता था? यानी इन सारी अवस्थाओं को ध्यान में रखते हैं। और मोह उत्पन्न होता है, उस अवस्था को भी ध्यान में रखते हैं फिर। उससे आगे की अवस्था, प्रौढ़ावस्था, फिर वृद्धावस्था, फिर लकवे की अवस्था, सभी में क्या स्थिति होती है? उसके बाद अर्थी निकालते समय की अवस्था, अग्निदाह के समय की अवस्था। अग्निदाह की अवस्था देखी हो और उस घड़ी प्रेम करने को कहे तो? यह तो शादी के बाद मूर्ख बनते हैं लेकिन कहें किस से? जहाँ सभी मूर्ख हैं वहाँ ? स्त्रियाँ भी इस मूर्खता को समझती हैं, कि ऐसी मूर्खता है यह ! देखकर पति ढूँढा लेकिन पति लाकर चेहरा लटक जाता है न, सूरत उतर जाती है न, क्या से क्या हो जाता है, आँखें चली जाती है, कान से सुनाई नहीं देता! और जिसे यह सब ध्यान में हो उसे वैराग्य रहता है! जिसे अवस्थाएँ लक्ष्य में रहती है, उसे वैराग्य सिखाना नहीं पड़ता! जितनी लिखी हैं न, उतनी अवस्थाएँ हमारे लक्ष्य में रहती हैं, एट-ए-टाइम। ऐसी बातें बाहर नहीं होती। ऐसी बातें यहीं पर होती हैं ! लोग तो खा जाते हैं, ऐसी बातें। इस तरह वैराग्य के विचार लाए, तब कुछ हो पाएगा वर्ना कुछ नहीं बदलेगा। जब मूल बात को, वैराग्य के मूल कॉज़ेज़ का नाश नहीं किया जाए, तब तक वैराग्य कैसे आ सकता है? प्रश्नकर्ता : युवावस्था में जो मोह होता है, वह मोह कैसे उत्पन्न नहीं हो? यदि एट-ए-टाइम सारी अवस्थाएँ देखे, तो... दादाश्री : तो मोह नहीं होगा लेकिन एट-ए-टाइम तो अवस्थाएँ कैसे देख सकता है ! मनुष्य की बिसात नहीं है न! उतनी शक्ति नहीं होती। दाल-चावल-रोटी-सब्जी खानेवाला हो या माँसाहार करनेवाला हो किसी की ऐसी बिसात नहीं है। कोई अपवाद ही हो सकता है। बाकी इस मामले
SR No.030110
Book TitleSamaz se Prapta Bramhacharya Uttararddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2013
Total Pages326
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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