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________________ विषय भूख की भयानकता २०७ बीड़ी पीए, फिर भी डिब्बे जल उठेंगे। अतः स्त्री-पुरुषों को 'बीवेयर ऑफ पेट्रोल' ऐसा बोर्ड लगाना चाहिए। स्त्री-पुरुष के दृष्टिरोग का इलाज क्या? इस जगत् में स्त्री को पुरुष का और पुरुष को स्त्री का आकर्षण कुछ उम्र तक रहता ही है। देखने से ही कॉज़ेज़ उत्पन्न होते हैं। लोग कहते हैं, 'देखने से क्या होता है?' अरे! देखने से तो निरे कॉज़ेज़ ही उत्पन्न होते हैं। लेकिन यदि 'दृष्टि' दी हुई हो तो देखने से कॉज़ेज़ उत्पन्न नहीं होंगे। पूरा जगत् व्यू पोइन्ट से देखता है। जबकि सिर्फ ज्ञानी ही 'फुल' (पूर्ण) दृष्टि से देखते हैं। लोग क्या कहते हैं कि, मुझे स्त्री के लिए बुरे विचार आते हैं। अरे! तू जब देखता है, तभी फिल्म तैयार हो जाती है। वह फिर रूपक में आती है, तब फिर उसके लिए शोर मचाता है कि ऐसा क्यों होता है ? ये फिल्म कॉज़ेज़ हैं और रूपक इफेक्ट है। हमारे अंदर कॉज़ेज़ ही नहीं पड़ते। जिन्हें कॉज़ेज़ पड़ते ही नहीं, उन्हें देहधारी परमात्मा ही कहा जाता है। स्त्री तो, आत्मा पर एक तरह का इफेक्ट है। स्त्री भी इफेक्ट है, पुरष भी इफेक्ट है। उसका इफेक्ट अपने पर नहीं पड़े तो ठीक है। अब स्त्री को आत्मा रूप देखो, पुद्गल में क्या देखना है ? ये आम सुंदर भी होते हैं और सड़ भी जाते हैं, इनमें क्या देखना? जो सड़े नहीं, बिगड़े नहीं, वह आत्मा है। उसे देखना है। हमें तो स्त्री भाव, पुरुष भाव ही नहीं है। हम उस बाज़ार में जाते ही नहीं। _ 'यह स्त्री है' ऐसा देखते हैं। जब पुरुष के अंदर रोग होगा तभी उसे स्त्री दिखेगी, वर्ना आत्मा ही दिखेगा और जब स्त्री ऐसा देखती है, कि 'यह पुरुष है' तो वह उस स्त्री का रोग है। निरोगी बनेगा तो मोक्ष होगा। इस समय हमारी निरोगी अवस्था है। इसलिए मुझे ऐसा विचार ही नहीं आता। पैकिंग अलग हैं, सिर्फ ऐसा रहता है, वह स्वाभाविक है। लेकिन ऐसा लक्ष्य रहे कि यह स्त्री है और यह पुरुष है, ऐसा सब झंझट नहीं है। वह तो यदि अंदर रोग होगा, तभी तक ऐसा दिखाता हैं। जब तक
SR No.030110
Book TitleSamaz se Prapta Bramhacharya Uttararddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2013
Total Pages326
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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