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________________ एक साल यदि प्रयोग करो, स्त्री संग से अलग रहने का, तो सुंदर प्रगति हो जाए। विषय कैसी चीज़ है ? कपटवाली । रात के अँधेरे में ही किया जाता है। सूर्य की मौजूदगी में करे तो हार्टफेल और ब्लडप्रेशर हो जाए । सारे ब्रह्मांड को कंपायमान कर दे ऐसा मनुष्यपन, फिर भी विषय में लथपथ होकर मनुष्य जानवर जैसा हो गया है। कई लोग ब्रह्मचर्य का विरोध करते हैं और कहते हैं कि अब्रह्मचर्य तो कुदरती है, इसमें गलत क्या है ? ब्रह्मचर्य का पालन क्या अकुदरती है ? नहीं, ब्रह्मचर्य कुदरती है। सभी जानवर भी ब्रह्मचर्य का ही पालन करते हैं। उनका अब्रह्मचर्य किसी खास सीज़न तक ही सीमित रहता है। साल में पंद्रह-बीस दिनों तक ही रहता है, फिर कुछ भी नहीं होता। एक व्यक्ति ने पूज्य दादाश्री से पूछा कि, 'यदि ब्रह्मचर्य व्याप्त हो जाएगा तो मनुष्यों की आबादी कम हो जाएगी जगत् में' तब परम पूज्य दादाश्री ने बताया, 'संतति नियमन के इतने सारे ऑपरेशन होते हैं, फिर भी आबादी बढ़ती ही चली जा रही है। जानवर भी विषय सेवन करते हैं लेकिन वह कुदरती है, सीज़नल ही है और इनका तो सुबह - शाम यही धंधा । विषय की भीख माँगता है ? शरम नहीं आती?' पति-पत्नी में जहाँ विषय ज़्यादा होता है, वहाँ बहुत क्लेश और कलह होते हैं। जो ब्रह्मचर्य में आ गया, वह देवस्थिति में आ गया। वह मनुष्यों में देवता ! शीलवान हुआ । ८. ब्रह्मचर्य की क़ीमत, स्पष्टवेदन और आत्मसुख जब हक़ की स्त्री के साथ का विषय व्यवहार छूटने लगे, तब आत्मविज्ञान सूक्ष्म रूप से समझ में आता है। परिणाम स्वरूप जागृति वर्धमान होने से अत्यंत भारहीन मुक्त दशा अनुभव में आती है । और तब खुद का स्व- - आत्मानंद निरंतर स्पष्ट अनुभव में रहा करता है । लेकिन 'विषय 18
SR No.030110
Book TitleSamaz se Prapta Bramhacharya Uttararddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2013
Total Pages326
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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