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________________ लो व्रत का ट्रायल १४७ बैठेगा, तो मार खा-खाकर मर जाएगा और फिर झूठा बन जाएगा। एकबार झूठा हो गया तो क्या झूठा बन जाए? नहीं। वही नियम में रखेगा। मैंने तुझे ब्रह्मचर्य पालन करने को कहा हो और ब्रह्मचर्य छूट जाए तो क्या बिल्कुल छोड़ देगा? नहीं, फिर से उस नियम पर आ जाना। छः महीने तक पालन नहीं कर पाते तो महीने में दो दिन रखना, चलो। 'बाकी के सभी दिन हमारा ब्रह्मचर्य है', हमारे पास से नियम करवाकर जाना फिर। ऐसा सुंदर रास्ता निकाल दिया है, मैंने यह सारा! प्रश्नकर्ता : आपने हर एक चीज़ में या किसी भी व्यावहारिक कार्य में भी ऐसा सटीक हल दिया है। दादाश्री : हल सभी सुंदर! अभी तक तो, इन सभी को ब्रह्मचारी किसी ने कहा ही नहीं, विवाहित है न! इसीलिए मैंने पुस्तक में लिखा कि आप विवाहित हो, इसलिए मैं आपको भाव ब्रह्मचर्यवाला कहता हूँ। कुदरत को मना करना होगा तो मना करेगी, लेकिन मैं तो कहता हूँ न ! मेरी ज़िम्मेदारी पर! तब पूछते हैं कि, 'हम ब्रह्मचारी कैसे कहलाएँगे?' मैंने कहा, 'जो अन्य स्त्री की ओर नहीं देखता और अन्य स्त्री के बारे में सोचता तक नहीं, वह ब्रह्मचारी है! जो अन्य स्त्री की ओर नहीं देखता और यदि आकर्षण हो जाए तो प्रतिक्रमण करता है, वह ब्रह्मचारी है।' एक पत्नीव्रत, उसे इस काल में हमने ब्रह्मचर्य कहा है। बोलो, तीर्थंकरों का जोखिम लेकर बोल रहे हैं। मेरी तरह बोला नहीं जा सकता, एक अक्षर भी नहीं बोला जा सकता, पुराना नियम सुधारकर नया नियम स्थापित नहीं कर सकते, लेकिन फिर भी मैं ज़िम्मेदारी लेता हूँ। क्योंकि इस काल में एक पत्नीव्रत रखना और दृष्टि नहीं बिगाड़ना, वह तो बहुत बड़ी चीज़ है। साधुओं ने शादी नहीं की, साधुओं ने ताला लगा दिया है। उसमें क्या नया पराक्रम किया? पराक्रम तो हमने, खुले तालेवालों ने किया, ऐसा कहा जाएगा। यह आपको समझ में आता है? किसने पराक्रम दिखाया कहा जाएगा? खुले तालेवालों ने। वह भी, यदि हम ज्ञान दें, तब । वर्ना अन्य किसी से नहीं हो सकता, इम्पोसिबल! हर तरह की छूट देने को तैयार हूँ आपको तो, किसी भी नियम
SR No.030110
Book TitleSamaz se Prapta Bramhacharya Uttararddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2013
Total Pages326
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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