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________________ १४२ समझ से प्राप्त ब्रह्मचर्य (उत्तरार्ध) प्रश्नकर्ता : दूबवाला खेत हो तो वहाँ बैलों का काम नहीं है, वहाँ तो ट्रेक्टर से ही काम होता है। आप जैसा ट्रेक्टर चाहिए, दादा! दादाश्री : हाँ, लेकिन उखाड़ देना है। ब्रह्मचर्य तो सबसे ऊँची चीज़ है। शादी करने के बाद ब्रह्मचर्य ले तो वह ब्रह्मचर्य बहुत अच्छी तरह से पाला जा सकता है। संसार का स्वाद चख लेने के बाद उनमें काफी कुछ उपशम हो गया होता है। उसके बाद ब्रह्मचर्यव्रत लेते हैं, जो हम कई लोगों को देते हैं, वे बहुत अच्छा पालन करते हैं। ये जो साध्वीजी बनते हैं, वे तो शादी के बाद चालीस साल की हो जाती हैं, तीन बच्चे होने के बाद दीक्षा लेती हैं, फिर भी वे महासती कहलाती हैं। क्योंकि अंतिम पंद्रह सालों में ब्रह्मचर्य पालन करे तो भी बहुत हो गया। भगवान महावीर ने अंतिम बयालीस सालों में ब्रह्मचर्य पालन किया था। तीस साल की उम्र में उन्हें बेटी थी। लेकिन वे सभी पुरुष तो ऊर्ध्वगामी, ऊर्ध्वरेता (ऊर्ध्वगामी वीर्यवान) होते हैं। उनके दिमाग़ इतने पावरफुल होते हैं, इतनी अधिक जागृति होती है ! उनकी वाणी तो और ही तरह की होती है! जगत् में कभी भी निकला ही नहीं, ऐसा यह विज्ञान है! हमेशा समाधि में रखता है! ऐसा ब्रह्मचर्य पाले तो भी समाधि और ब्रह्मचर्य नहीं पाले और शादी कर ले तो भी समाधि! इसलिए इसका लाभ उठाना। स्पष्टवेदन रुका है विषयबंधन से भले ही कैसे भी कर्म हों यह ज्ञान उन्हें मटियामेट कर डाले, भीतर जो हैं उसे भस्मीभूत कर डाले, ऐसा है। प्रश्नकर्ता : हाँ, वह ठीक है। लेकिन आत्मसुख का कोई स्पष्टवेदन नहीं है, ऐसा क्यों? दादाश्री : अब वह स्पष्टवेदन कब तक नहीं होगा? जब तक ये विषय-विकार नहीं जाते, तब तक स्पष्टवेदन नहीं होगा। इसलिए यह आत्मा का सुख है या कौन सा सुख है वह 'एक्जेक्ट' समझ में नहीं आता। यदि ब्रह्मचर्य हो तो 'ऑन द मोमेन्ट' समझ में आ जाता है।
SR No.030110
Book TitleSamaz se Prapta Bramhacharya Uttararddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2013
Total Pages326
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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