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________________ [८] ब्रह्मचर्य का मूल्य, स्पष्टवेदन - आत्मसुख अक्रम मार्ग में ब्रह्मचर्य का स्थान कितना? प्रश्नकर्ता : यह ज्ञान मिलने के बाद, दादा का ज्ञान मिलने के बाद ब्रह्मचर्य की आवश्यकता रहती है या नहीं? दादाश्री : ब्रह्मचर्य की आवश्यकता तो जो पालन कर सके, उसके लिए है, और जो पालन नहीं कर सके उसके लिए नहीं है। यदि आवश्यक ही होता तब तो ब्रह्मचर्य-पालन नहीं करनेवालों को सारी रात नींद ही नहीं आती कि अब तो हमारा मोक्ष चला जाएगा। अब्रह्मचर्य गलत है, ऐसा जान ले तो भी बहुत हो गया। ऐसा है न, इस बात का खुलासा आज कर दिया। ब्रह्मचर्य और अब्रह्मचर्य में से आवश्यक क्या है ? उसका रूट कॉज़ क्या है? वह किसी को पता नहीं चल सके, ऐसी चीज़ है। यानी यह रूट कॉज़ मैंने आपको बता दिया। यह जो रूट कॉज़ है, वह मौलिक है। प्रश्नकर्ता : बौद्धिक विषयों की रमणता तो रहेगी ही न? दादाश्री : हम स्त्री से संबंधित रमणता का विरोध करते हैं। एक तरफ अब्रह्मचर्य चल रहा हो और दूसरी तरफ ज्ञानीपुरुष को भले ही कितना भी देह समर्पित किया हो, लेकिन यदि स्त्री की देह के प्रति राग है तो इसका मतलब खुद की देह पर भी उतना ही राग है। अत: अर्पणता उतनी कच्ची ही रहेगी। मदर, फादर, भाई, बहन पर के प्रति जो राग है उसे हम राग नहीं कहते क्योंकि उस राग में उतना तन्मयाकार नहीं होता।
SR No.030110
Book TitleSamaz se Prapta Bramhacharya Uttararddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2013
Total Pages326
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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