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________________ विषय वह पाशवता ही ११७ की। पहले बैलों की नसबंदी करते थे, आज मनुष्यों की नसबंदी कर रहे हैं। कितनी शर्मनाक बात है? ये नसबंदी करवाते हैं न, वह गलत है। नसबंदी करवाते हैं क्या लोग? सरकार क्या कहती है, नसबंदी करवाइए? प्रश्नकर्ता : हाँ जी। कहते हैं करवाइए और लोग खुद जाकर करवाते हैं। दादाश्री : सरकार कहती है एक, दो और तीन। हम दो हमारे दो और बाकी सब नसबंदी! हम क्या कहते हैं कि चार बच्चे हो जाएँ, लेकिन उसके बाद भी ब्रह्मचर्य पालन कर न, और संसार में स्त्री के साथ रहते हुए भी ब्रह्मचर्य, यानी क्या? कि महीने में चार दिन या पाँच दिन ठीक है, यानी बारह महीने में पचास या साठ दिन हुए। लेकिन यह तो सुबह हुई, शाम हुई, और यही धंधा। फिर पत्नी सवार हो जाती है। कुछ लोगों की पत्नी तो उनसे 'आजिज़ी' करवाती है। पुरुष माँग करते हैं, विषय की भीख माँगते हैं ये हिन्दुस्तान के लोग, ऋषि-मुनियों के पुत्र । शर्म आए ऐसी चीज़ है। विषय की भीख माँगते हैं, आपको नहीं लगता? यह शर्मनाक नहीं लगता? प्रश्नकर्ता : शर्मनाक ही है। बुद्धिशाली भी पत्नी के सामने बुद्ध दादाश्री : और ये तो मुए रोज़ झगड़ते हैं। रोज़ विषय में, जैसे कुत्ता हो और कुछ तो पत्नी से विषय की माँग करते हैं, 'बीवी, आप यह दो न!' अरे मुए! पत्नी से माँग की? तूने यह कैसी खोज की? देखो न, ये पाशवता हो गई है। बड़े-बड़े अफसर, यानी सब पाशवता हो गई है। हमें क्या ऐसा शोभा देता है ? विषय करते समय, अभी यदि कोई बड़ा साहब विषय कर रहा हो, उस समय फोटो लें तो फोटो कैसा दिखेगा? बड़े साहब को दिखाएँ तो? प्रश्नकर्ता : घृणा हो ऐसा। दादाश्री : तो फिर ऐसे शर्म नहीं आती। खुद का फोटो नहीं दिखाई
SR No.030110
Book TitleSamaz se Prapta Bramhacharya Uttararddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2013
Total Pages326
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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