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________________ विषय बंद, वहाँ लड़ाई-झगड़े बंद १०३ कपट से शेर को बनाए चुहिया हम ऐसा कहें, तब वह वैसा कहती है। वाद पर विवाद करती है चीकणी फाइल (गाढ़ ऋणानुबंधवाले व्यक्ति)। प्रश्नकर्ता : यानी फाइल नंबर टू। दादाश्री : हाँ, पति का मानती नहीं। यों तो रात को चूहा प्याला खड़खड़ाए तो डर जाती है, लेकिन पति से नहीं डरती, बड़ा शेर जैसा हो फिर भी! प्रश्नकर्ता : उसके पीछे कारण क्या है ? विषय का लालच? दादाश्री : घोलकर पी गई होती है। वह पीने देता है न! ऐसी स्त्रियाँ होती हैं या नहीं होती? पी जाएँ ऐसी? कैसे पी जाती हैं? कमज़ोरी पहचान कर फिर पी जाती हैं। उसकी कोई हैसियत नहीं है और बेकार ही उछलकूद करता है, फिर उसे हो जाती है। प्रश्नकर्ता : घर्षण का आपने जो कारण बताया न, यानी कि विषय नहीं होता तो टकराव ही नहीं होता! दादाश्री : विषय नहीं हो और मार्ग मिल जाए तो मोक्ष हो जाएगा। वर्ना यदि मार्ग नहीं मिला तो वह भी भटक जाएगा। विषय नहीं होगा तो फिर मोक्ष सरल है, बिना किसी अड़चन का! प्रश्नकर्ता : यानी संसार जहाँ से शुरू हुआ है, वहीं से बंद करना पड़ेगा। तो बंद हो जाएगा। विषय में से उत्पन्न हुआ है न? दादाश्री : सूक्ष्म कारण तो अन्य हैं, स्थूल कारण यह है। प्रश्नकर्ता : यह स्थूल कारण में जाता है ? दादाश्री : यदि यह बंद कर दे तो दीये जैसा हो जाएगा, फर्स्ट क्लास। ऐसा किसी ने हिन्दुस्तान में कहा नहीं है अभी तक। शील पर तो
SR No.030110
Book TitleSamaz se Prapta Bramhacharya Uttararddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2013
Total Pages326
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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