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________________ विषय बंद, वहाँ लड़ाई-झगड़े बंद ले जाएगी! अतः उससे छूटने के लिए क्या करना पड़ेगा ? उसके साथ विषय बिल्कुल बंद कर देना पड़ेगा, वर्ना कम कर देना पड़ेगा तो गाड़ी पटरी पर आएगी और तब मेल बठैगा । इस दुनिया में क्षय के जंतु की दवाई है, लेकिन मनुष्यरूपी जंतु तो क्षय के कीटाणुओं से भी भयंकर हैं। उनकी तो दवाई ही नहीं मिलती न ! १०१ प्रश्नकर्ता : दादाजी, मेरी ब्रह्मचर्य पालन करने की बहुत इच्छा है, लेकिन मेरी पत्नी मना करती है । इसी कारण से मैं यहाँ सत्संग में नहीं आऊँ उसके लिए बहुत धमाल करती है । तब मुझे क्या करना चाहिए ? दादाश्री : पुरुष ज़रा ढीले होते हैं, इसलिए स्त्रियाँ उनका लाभ उठाती हैं। जब तक पुरुषों को स्त्री से विषय की याचना रहेगी, तब तक स्त्रियाँ कभी भी काबू में नहीं आएँगी । चार-छ: महीनों के लिए तू विषय बंद करके देख। वह गिड़गिड़ाने लगेगी । फिर स्त्री काबू में आ जाएगी। अपने को तो, उसका भी कल्याण हो, ऐसा सोचना चाहिए। उस बेचारी का उल्टा चलेगा, तो कहाँ जाएगी ? वह अपना बुरा करना चाहे तो भी हमें उसका भला करना चाहिए। वह तो नासमझ है लेकिन हम तो समझदार हैं न या नहीं? छ: महीने तुझ से कंट्रोल हो पाएगा या नहीं ? छ: महीनों में तो वह मोम की तरह नरम हो जाएगी । छ: महीनों में ही तुझे चमत्कार जैसा लगेगा। एक आदमी को तो, तीन महीनों में ही उसकी पत्नी वश में आ गई थी और पति से कहने लगी कि आप जैसा कहेंगे वैसा करूँगी। उसका स्वभाव विकारी है या मंद है ? प्रश्नकर्ता : थोड़ा है ज़रूर । दादाश्री : तो वह तुरंत काबू में आ जाएगी । उसे आप ऐसे राह पर ला देना कि उसका भी भला हो और अपना भी भला हो । पत्नी यदि परेशान करे तो आप कहना कि मेरा ब्रह्मचर्य लेने का विचार है । यदि बहुत गिड़गिड़ाए तो कहना अभी दो महीनों बाद, तेरे बदलने के बाद। ऐसा करके कुछ भी करके उसे वश में लाना। वह जब विकार में आए, तब वह तुझे खुश करने का प्रयत्न करती है या नहीं करती ?
SR No.030110
Book TitleSamaz se Prapta Bramhacharya Uttararddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2013
Total Pages326
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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