SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 475
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ समझ से प्राप्त ब्रह्मचर्य (पू) सकते हैं ? तो वह कौन बातचीत कर सकता है ? सिर्फ एक 'ज्ञानीपुरुष' ही बातचीत कर सकते हैं क्योंकि ज्ञानी किसी लिंग में नहीं होते। वे पुरुष लिंग में नहीं होते, स्त्री लिंग में नहीं होते, न ही नपुसंक लिंग में होते हैं। वे तो आउट ऑफ लिंग होते हैं। बहुत विचित्र ज़माना आया है, फिसलता काल है, लड़कियों को कोई ज्ञान है नहीं, आगे का मार्गदर्शन नहीं है। इन लड़कियों को कितनी परेशानियाँ है ! इसलिए यह मार्गदर्शन दे रहा हूँ। ४२२ इसलिए यह ज्ञान निकला । मेरी बहुत समय से इच्छा थी कि ऐसा ज्ञान निकले, लेकिन उसका टाइम आना चाहिए न ? यह ज्ञान इतनों को तो मिला। सभी को ज़रूरत तो है ही न! इस ज्ञान की तो सभी को ज़रूरत है ! ब्रह्मचर्य व्रत पालन करना कहीं छोटे बच्चों का खेल नहीं है ! विषय का विचार ही नहीं आना चाहिए और आ जाए तो उसे तुरंत प्रतिक्रमण करके धो देना । विचार तो आएँगे ही। इस कलियुग में तो निरे ऐसे विचार आते ही हैं ! लेकिन उन्हें धो देना। प्रश्नकर्ता : विषय में हमने आनंद का आरोपण किया है, इसलिए वह आता है, लेकिन हमें ब्रह्म के आनंद की अनुभूति हो जाए तो वह आनंद ऑटोमैटिक छूट जाएगा ? दादाश्री : हाँ, क्योंकि जलेबी खाने के बाद चाय पीओगे, तो अपने आप ही न्याय हो जाएगा न! उसी प्रकार आत्मा का आनंद चखने के बाद विषय अपने आप ही फीके पड़ जाते हैं । इन लड़कियों को फीका ही पड़ गया है न! तभी तो राह पर आ गया न! इन लड़कियों को ब्रह्म का आनंद उत्पन्न हुआ और आरोपित आनंद फ्रैक्चर हो गया ! इसीलिए खुद के दोषों पर रोना आया न? और लड़कियाँ तो यहाँ आकर मुझसे कहती हैं कि 'बहुत ही शक्ति बढ़ गई, ज़बरदस्त शक्ति बढ़ गई ! ' खुद का
SR No.030109
Book TitleSamaz se Prapta Bramhacharya Purvardh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2014
Total Pages482
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy