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________________ अंतिम जन्म में भी ब्रह्मचर्य तो आवश्यक (खं - 2 - १७) जैसा है तो फिर ये जो सब लोग शादी करते हैं, उन्होंने क्या मजबूरन शादी की है ? शादी क्यों करते हैं ? ३७५ दादाश्री : लोग तो खुशी से, शौक से शादी करते हैं। इसमें दुःख है, ऐसा नहीं जानते । वे तो ऐसा ही समझते हैं कि अंततः इसमें सुख है। लोग ऐसा समझते हैं कि थोड़ा बहुत नुकसान है लेकिन कुल मिलाकर फायदेवाली चीज़ है। जबकि हकीकत में बिल्कुल नुकसान ही है। वह जब 'इन्कमटैक्स' ऑफिस में जाता है तब पता चलता है कि यह सारा नुकसान ही था। और उसमें भी अपने हाथ में सत्ता नहीं है न ? इस जन्म में अपने हाथ में नहीं है न? इस जन्म में तो अब नये सिरे से हमें 'डिसिज़न’ आ जाता है, इसलिए साफ हो जाता है। इसलिए श्रीमद् राजचंद्र ने कहा है कि, 'देखत भूली टले तो सर्व दुःखों का क्षय होगा।' वे खुद ही बताते हैं कि हमारे ज्ञान में तो बर्तता ही है कि इसमें पड़ने जैसा नहीं है। फिर भी देखते हैं और भूल हो जाती है। देखते हैं और भूल हो जाती है जबकि अपना ज्ञान तो ऐसा है कि देखता है फिर भी भूल नहीं होती क्योंकि जब देखे तब उसे 'शुद्धात्मा' दिखना चाहिए और 'शुद्धात्मा' दिखे तो फिर राग नहीं होगा । 'जवानी' सँभल जाए तो इस जगत् में और किसी भी तरह का जोखिम नहीं है, सिर्फ इतना ही जोखिम है। कुछ लोगों को ऐसा होता है कि जो दाग़ लगा हो वह प्रतिक्रमण करने से धुल जाता है और कुछ लोगों को प्रतिक्रमण करने पर भी दाग़ नहीं जाते लेकिन ऐसे दोचार ही होते हैं। उसके लिए उन्हें मेरे पास समझने के लिए आना पड़ेगा। तब मैं सब समझा दूँगा कि हकीकत में ऐसा है । इस ‘वॉर' (युद्ध) से आप बच जाओ। यह 'वॉर' बहुत बड़ी है। यह जवानी की 'वॉर' तो बहुत भारी है, पाकिस्तान से भी भारी ।
SR No.030109
Book TitleSamaz se Prapta Bramhacharya Purvardh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2014
Total Pages482
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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