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________________ फिसलनेवालों को उठाकर दौड़ाते हैं (खं - 2-१६) आते हैं उतने चले जाते हैं, साफ करके जाते हैं। इसलिए अगर खराब विचार आएँ तो घबराना मत। पहले तो ब्रह्मचर्य नहीं था, ज्ञान नहीं था तब हर एक बुरे विचार के साथ तन्मयाकार होकर उसी तरह करता था न ? अब तन्मयाकार नहीं होते और बस इतना ही है कि बुरे विचार आते हैं। लेकिन उन्हें देखना और जानना है। खराब और अच्छा - गलत भगवान के वहाँ नहीं है। वह सब डिस्चार्ज होता रहता है। वह सारा मन का स्वभाव है। तुम सभी को तो रोज़ इकट्ठे होकर एकाध घंटा ब्रह्मचर्य संबंधित सत्संग रखना चाहिए। हमें तो मोक्ष से काम है न ? और तुम्हें हम ऐसी ज़बरदस्ती भी नहीं करते कि शादी करनी है। हमारा किसी तरह का आग्रह नहीं होता । क्योंकि तुम्हारा पिछले जन्म का ब्रह्मचर्य का भाव भरा होगा तो 'शादी करो' हम ऐसा दबाव भी नहीं डाल सकते न ! इसलिए हम तो ऐसा कुछ नहीं कह सकते कि 'ऐसा ही करो'। आपकी मज़बूती चाहिए। हम बार-बार आपको विधि कर देंगे और हमारा वचनबल काम करेगा, हेल्प करेगा! इसलिए इस तरफ जाना हो तो इस तरफ, वह तुम्हीं को तय करना है। प्रश्नकर्ता : वह तय तो कर ही लिया है। ३४५ दादाश्री : हाँ, तय किया है और व्रत भी लिया है। लेकिन व्रत में भंग हुआ हो तो पश्चाताप लेना पड़ेगा। अपने यहाँ एकएक घंटा प्रतिक्रमण करते हैं । मन में ज़रा भी बदलाव हुआ हो, मुँह पर नहीं लेकिन विचार से, और दूसरा कुछ भी नहीं किया हो लेकिन वर्तन में ज़रा सा भी 'टच' हो गया हो, और यों 'टच' होने से आनंद हुआ हो, यों हाथ लगाने से वैसा हो जाए, तो आपको एक घंटा उसका प्रतिक्रमण करना पड़ेगा। यानी ऐसा सब करोगे तो आगे जमेगा और यदि इसमें से पार उतर गए और ३५-३७ साल के हो गए तो तुम्हारा काम हो जाएगा। मतलब अकाल के ये दस-पंद्रह साल निकालने हैं! और अपना यह ज्ञान है, इसीलिए यह सब कह रहा हूँ न ! वर्ना ब्रह्मचर्य पालन के
SR No.030109
Book TitleSamaz se Prapta Bramhacharya Purvardh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2014
Total Pages482
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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