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________________ वीर्य के ऊर्ध्वगमन होने के लक्षण क्या हैं? चेहरे पर तेज आ जाता है। ब्रह्मचर्य का नूर झलकता है! वाणी और वर्तन मीठे हो जाते हैं। मनोबल खूब बढ़ जाता है! स्वप्नदोष का कारण क्या है? जैसे टंकी छलककर उभर जाती है, वैसा। यदि आहार पर कंट्रोल रखा जाए तो स्वप्नदोष नहीं होंगे। उसमें भी रात को भोजन नहीं लेना चाहिए। उणोदरी करे और चाय-कॉफी नहीं लेने चाहिए आदि। फिर भी स्वप्न दोष को इतना बड़ा गुनाह नहीं माना गया है। लेकिन जान-बूझकर नहीं करना चाहिए। वह भयंकर गुनाह है। वह आत्महत्या कहलाता है। जान-बूझकर डिस्चार्ज की छूट नहीं होती। कोई क्या जान-बूझकर कुएँ में गिरता है? सामान्यतः लौकिक तौर पर ऐसा प्रचलित है कि वीर्य का गलन, वह पुद्गल स्वभाव ही है। वह लीकेज नहीं है। ज्ञानियों की ज्ञानदृष्टि क्या कहती है कि जब दृष्टि बिगड़े या विचार बिगड़े तब वीर्य का कुछ हिस्सा 'एकज़ॉस्ट' हो जाता है। फिर वह डिस्चार्ज होता रहता है। स्वप्नदोष को गुनाह नहीं माना है। लेकिन फिर भी सुबह उसका प्रतिक्रमण करना पड़ता है। पछतावा करना चाहिए। दादा की पाँच आज्ञा का पालन करे, उसे विषय-विकार हो सकें, ऐसा नहीं है। बाह्य उपायों में उपवास, आयंबिल (जैनों में किया जानेवाला व्रत, जब भोजन में एक ही प्रकार का धान खाया जाता है) वगैरह। शरीर को हृष्ट पुष्ट नहीं होने देना चाहिए। सर्दीगर्मी को सहन कर सके और सादा सात्विक आहार ले। जिसका वीर्य ऊर्ध्वगामी होने लगे, वह ज्ञान धारण कर सकता है। जैन शास्त्र में नौ बाड़ के नियम दिए गए हैं, ब्रह्मचारियों के लिए। निरोगी कभी भी विषयी नहीं होता। संपूर्ण निरोगी तो तीर्थंकर ही होते हैं! आत्मज्ञान की दृष्टि से विचार अच्छे या बुरे नहीं होते। दोनों ही ज्ञेय हैं। उसे ज्ञाता रहकर देखते रहें, तो वे खत्म हो जाते हैं। लेकिन यदि उनमें तन्मयाकार हो जाए तो कर्म बंधन होने लगता हैं। लेकिन अगर तुरंत ही प्रतिक्रमण कर लें तो वह धुल जाएगा। यदि उसका काल पक जाए और अवधि पूरी हो जाए तो कर्म बंधन होता है, लेकिन अगर उससे पहले ही प्रतिक्रमण से धो दिया जाए तो कर्म बंधन नहीं होगा। 37
SR No.030109
Book TitleSamaz se Prapta Bramhacharya Purvardh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2014
Total Pages482
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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