SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 37
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ बहत बढती है। बीच-बीच में खाते नहीं रहना चाहिए। आहार से अंदर नशा चढ़ता है, दारू बनती है। चरबीवाला, मिठाई, तला हुआ आहार नहीं लेना चाहिए। अपने रोटी-दाल-चावल-सब्जी, वह आदर्श आहार माना जाता है। नींद भी बहुत कम आती है। घी-तेल से मांस बढता है और मांस बढ़ने से वीर्य बढ़ता है। छोटे बच्चों को मगस(गुजराती व्यंजन) या घी, मेवे के लड्डू नहीं खिलाने चाहिए। नहीं तो बाद में बड़े होकर बहुत ही विकारी बन जाएँगे। माँ-बाप ही बिगाड़ते हैं उन्हें। नहाने से भी विषय जागृत होता है। इसलिए स्पंज कर लेना चाहिए। बीमार इंसान को कभी विषय याद आता है? जो तीन दिन से भूखा हो, उसे विषय याद आता है? कंदमूल खाने से ब्रह्मचर्य नहीं टिकता। इसलिए वह नहीं खाना चाहिए। १३. न हो असार, पुद्गलसार ब्रह्मचर्य, वह पुद्गलसार है। आहार का सार क्या? वीर्य। इसलिए ब्रह्मचर्य मोक्षमार्ग का आधार है। ज्ञान के साथ अगर ब्रह्मचर्य हो तो सुख की सीमा नहीं रहेगी। लोकसार, वह मोक्ष है और पुद्गलसार, वह वीर्य है। महंगे से महंगी चीज़ वीर्य है। उसे मुफ्त में कैसे व्यर्थ कर सकते हैं? वीर्य ऊर्ध्वगामी हो, ऐसे भाव रखने चाहिए। अक्रम ज्ञान वीर्य का ऊर्ध्वगमन करवानेवाला है। अज्ञान, वीर्य को अधोगामी करवाता है और ज्ञान ऊर्ध्वगामी करवाता है! हैं तो दोनों रिलेटिव। लेकिन वीर्य के परमाणु सूक्ष्मरूप से ओजस में परिणामित होते हैं, उसके बाद वह अधोगामी नहीं होता। वीर्य या तो संसार के रूप में परिणामित होता है या ऐश्वर्य के रूप में! संसार-व्यवहार में साधक के रिवोल्यूशन रुक जाते हैं। उसका क्या कारण है ? आत्मवीर्य प्रकट नहीं होता। इसलिए मन में संसार-व्यवहार सहन करने की शक्ति नहीं रहती। इसलिए भगौड़ा बन जाता है। उसके बजाय तो आत्मा में ही रहने जैसा है। आत्मवीर्य का अभाव अर्थात व्यवहार का सोल्यूशन नहीं ला सकते। आत्मवीर्य कब प्रकट होता है? आत्मा के अलावा अन्य कहीं पर भी रुचि न रहे। दुनिया की कोई चीज़ ललचा न सके तब। 36
SR No.030109
Book TitleSamaz se Prapta Bramhacharya Purvardh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2014
Total Pages482
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy