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________________ २७४ समझ से प्राप्त ब्रह्मचर्य (पू) दादाश्री : आत्मवीर्य प्रकट हो जाए, तो उसकी तो बात ही अलग है न! प्रश्नकर्ता : वह क्या कहलाता है? जब आत्मवीर्य प्रकट होता है तो उसमें क्या होता है? दादाश्री : आत्मा की शक्ति बहुत बढ़ जाती है। प्रश्नकर्ता : तो यह जो दर्शन है, जागृति है। यह और आत्मवीर्य इन दोनों का कनेक्शन क्या है? दादाश्री : जागृति, वह आत्मवीर्य में आती है। आत्मवीर्य का अभाव है इसलिए व्यवहार का सोल्यूशन नहीं कर पाता, लेकिन व्यवहार धकेलकर एक तरफ रख देता है। आत्मवीर्यवाला तो कहेगा, भले ही कोई भी हो, आओ न! उसे उलझन नहीं होती। लेकिन अब वे सभी शक्तियाँ उत्पन्न होंगी! प्रश्नकर्ता : वे शक्तियाँ ब्रह्मचर्य से उत्पन्न होती हैं? दादाश्री : हाँ, ब्रह्मचर्य का अच्छी तरह से पालन हो, तब और ज़रा सा भी लीकेज नहीं होना चाहिए। यह तो क्या हुआ है कि व्यवहार सीखे नहीं और यों ही यह सब हाथ में आ गया है! बरते वीर्य, जहाँ जहाँ रुचि जहाँ रुचि होती हैं, वहाँ आत्मा का वीर्य बरतता है। इन लोगों को रुचि किस में है? आइस्क्रीम में है, लेकिन आत्मा में नहीं। आत्मा के लिए यहाँ आना है या आइस्क्रीम के लिए? तो कहेंगे 'आइस्क्रीम खाने!'। कितने निर्वीर्य जीव हैं! तुझे समझ में आ रही है यह बात? आत्मवीर्यवाला तो बहुत मज़बूत इंसान! किसी भी लालच की चीज़ से नहीं ललचाता। इस दुनिया में उसे कोई चीज़ ललचा नहीं सकती, और इसे तो आइस्क्रीम ललचा जाती है कभी-कभी!
SR No.030109
Book TitleSamaz se Prapta Bramhacharya Purvardh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2014
Total Pages482
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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