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________________ समझ से प्राप्त ब्रह्मचर्य (पू) जाएगा और जिसे लड़ना है, वह लड़ेगा और जिसे निकाल करना है, वह निकाल कर देगा । तेरी इच्छा तो निकाल करने की है न? कैसा भी हो फिर भी ? २५० प्रश्नकर्ता : ऑफिस में सहकर्मी मुझसे पूछते हैं कि लड़की देखने पर तुझ पर कुछ असर होता है या नहीं ? दादाश्री : फिर ? प्रश्नकर्ता : फिर मैं कहता हूँ कि लड़की देखता हूँ तो आकर्षण होता है। लेकिन शादी नहीं करनेवाला, ऐसा नहीं कहता । वर्ना वे लोग मज़ाक करेंगे कि तू लड़की देखता है और तुझ पर कुछ असर नहीं होता तो तुझ में कोई दम ही नहीं है। ऐसा सब तय कर लेते हैं, वे लोग । फिर उसका प्रचार करते हैं, इसलिए फिर कहता हूँ कि मुझे आकर्षण होता है I दादाश्री : ऐसे झूठ नहीं बोलना है। दम उसी को कहते हैं कि जिसे आकर्षण नहीं हो, बल्कि बिना दमवाले को ही अधिक आकर्षण होता है । 'मुझे नहीं होता, मुझे तो छूता तक नहीं ।' कहना । इसलिए हम कहते हैं न कि भाई, ये आप्तपुत्र एक जगह बस जाएँगे तो फिर ऐसी बातें सुनने को ही नहीं मिलेगी । पोइज़न नहीं चढ़ेगा। समभावियों का समूह यह बाहर का जो परिचय है, वह उल्टा परिचय है और अभी तक ज्ञानियों से पूरा परिचय नहीं हुआ है । यदि परिचय हुआ होता तो ऐसा नहीं होता। इसलिए ज्ञानियों के पास पड़े रहना है । बाहर के परिचय से ही तो यह सारी मार खाई है न ?! बाहर के परिचय से सबकुछ बिगड़ता ही रहता है, बहुत बिगड़ता है। यदि ब्रह्मचर्य पालन करना हो तो बाहर का परिचय भी रखे और ब्रह्मचर्य का पालन कर सके, ये दोनों एक साथ नहीं हो सकते ! वह तो पूरा समूह होना चाहिए, अलग निवास स्थान होना चाहिए,
SR No.030109
Book TitleSamaz se Prapta Bramhacharya Purvardh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2014
Total Pages482
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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