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________________ २४९ सेफ साइड तक की बाड़ (खं-2-११) ___ नहीं सुननी चाहिए विषयी वाणी विषय-विकारवाली जो वाणी सुनता तक नहीं है, खुद बोलता भी नहीं है, विषय की वैसी बातें सुने तो मन में क्या होगा? प्रश्नकर्ता : मन बिगड़ेगा। दादाश्री : अतः ऐसी वाणी खुद बोलनी भी नहीं चाहिए, कोई बोल रहा हो तो सुननी भी नहीं चाहिए। यह वाणी महाभारत नहीं है कि सुनने जैसी हो। प्रश्नकर्ता : ऑफिस में बैठे हों, तब मजबूरन वह सुननी पड़े तो? दादाश्री : तो तुम पर असर न हो, ऐसा करना। तुम्हें इन्टरेस्ट हो तभी सुनाई देगा, वर्ना सुनाई नहीं देगा। अपना इन्टरेस्ट नहीं होगा तो कान सुनेंगे लेकिन तुम्हें नहीं सुनाई देगा! प्रश्नकर्ता : उपयोग में कमी होगी, इसलिए ऐसा होता है? दादाश्री : उपयोग में तो पूरी ही कमी है। यदि उपयोग होगा तो वह नहीं रहेगा और वह होगा तो उपयोग नहीं रहेगा! प्रश्नकर्ता : वह आपने कहा था न कि छ: महीने तक विचार आएँ कि 'शादी करनी है, शादी करनी है।' फिर भी अपने निश्चय में खुद स्थिर रहे तब तो पार निकल जाएँगे। दादाश्री : वह खत्म हो जाएगा। निश्चय मज़बूत होना चाहिए। निश्चय ढीला नहीं होना चाहिए। प्रश्नकर्ता : फिर सर्विस में ये सारे जो कुसंग मिलते हैं। उनका निकाल कर देना है। आपने जो वह कहा है, तो उसमें क्या करना है? वह निकाल कैसे करना है? दादाश्री : अपनी आज्ञा का पालन करके, प्रतिक्रमण से निकाल कर देना है। जिसे निकाल करना है, उसका निकाल हो
SR No.030109
Book TitleSamaz se Prapta Bramhacharya Purvardh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2014
Total Pages482
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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