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________________ सेफ साइड तक की बाड़ (खं-2-११) से दूर और सत्संग की पुष्टि, इन तीन 'कॉज़ेज़' का सेवन होगा तो सबकुछ हो जाएगा । २४७ दादाश्री : यह सब निश्चय को हेल्प करता है और निश्चय मज़बूत करना, वह अपने हाथ की बात है न! सत्संग के परिचय में रहने से इंसान बिगड़ता नहीं है । कुसंग के परिचय से तो इंसान खत्म हो जाता है। अरे, कुसंग ज़रा सा भी छू जाए तो भी खत्म हो जाएगा । खीर में ज़रा सा भी नमक डाल दिया तो ? प्रश्नकर्ता : ऐसा आनंद तो कहीं भी देखा ही नहीं है। इसलिए कहीं भी जाने का मन नहीं करता । यहीं अच्छा लगता है । दादाश्री : सिनेमा में आनंद मिलता होगा न ? प्रश्नकर्ता : लेकिन फिर बाहर निकलने पर वैसे के वैसे ही । दादाश्री : हाँ, जैसा था वैसा ही वापस । अठारह रुपये खर्च हो गए और बल्कि परेशानी हो गई, तीन घंटे का टाइम खो दिया। मनुष्य जन्म के तीन घंटे कहीं बिगाड़े जाते होंगे ? प्रश्नकर्ता : तीन घंटे तो देखने में, लेकिन आगे-पीछे दूसरी तैयारी करने में भी समय जाता है न! दादाश्री : हाँ, ऊपर से वह टाइम अलग। मैं लोगों से पूछता हूँ कि, 'चिंता होती है तब क्या करते हो ?' तब कहते हैं कि, ‘सिनेमा देखने चला जाता हूँ।' अरे, यह सही उपाय नहीं है। यह तो पेट्रोल डालकर अग्नि को बुझाने जैसी बात है । यह जगत् पेट्रोल की अग्नि से जल ही रहा है न ? उसी तरह क्योंकि यह सूक्ष्म अग्नि है इसलिए दिखाई नहीं देती, स्थूल में नहीं जलता । कलियुग की हवा बहुत खराब है। यह तो ज्ञान की वजह से बच जाते हैं, वर्ना कलियुग की हवा का फटका ऐसा लगता है कि इंसान को खत्म कर दे।
SR No.030109
Book TitleSamaz se Prapta Bramhacharya Purvardh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2014
Total Pages482
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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