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________________ समझ से प्राप्त ब्रह्मचर्य (पू) हमें कुछ लेना देना नहीं है। वह तो गाड़ी में भी बैठते ही हैं न? गाड़ी में क्या करते हैं ? यहाँ तो हम खिसका दें कि वहाँ बैठो, लेकिन गाड़ी में क्या करोगे ? अरे, भीड़ में भी बैठना पड़ता है। यदि थक गए होओगे तो क्या करोगे ? १९६ प्रश्नकर्ता : तो स्पर्श का असर होगा न ? दादाश्री : उस समय हमें मन संकुचित कर लेना चाहिए। मैं इस देह से अलग हूँ, मैं 'चंद्रेश' हूँ ही नहीं, यह उपयोग रहना चाहिए, शुद्ध उपयोग रहना चाहिए। कभी जब ऐसा हो जाए तब शुद्ध उपयोग में ही रहना चाहिए कि 'मैं चंद्रेश हूँ ही नहीं । ' स्पर्श सुख के जोखिम स्पर्श सुख भोगने का विचार आए तो उसके आने से पहले ही उखाड़कर फेंक देना । यदि तुरंत ही उखाड़कर फेंक नहीं दिया जाए तो पहले सेकन्ड में ही पेड़ बन जाता है, दूसरे सेकन्ड में वह हमें पकड़ में ले लेगा और तीसरे सेकन्ड में फिर फाँसी पर चढ़ने का वक्त आएगा । - पुरुष हिसाब नहीं होगा तो टच भी नहीं हो सकता । स्त्री - एक रूम में हों, फिर भी विचार तक नहीं आ सकता । प्रश्नकर्ता : आपने कहा कि 'हिसाब है, इसलिए आकर्षण होता है।' तो उस हिसाब को पहले से ही कैसे उखाड़ सकते हैं ? दादाश्री : वह तो उसी समय, ऑन द मोमन्ट करेंगे तभी हो पाएगा। पहले से नहीं हो सकेगा। मन में विचार आए न कि 'स्त्री के लिए पास में जगह रखें ।' तो तुरंत ही उस विचार को उखाड़ देना। ‘हेतु क्या है' वह देख लेना। अपने सिद्धांत के अनुरूप है या सिद्धांत के विरुद्ध है। सिद्धांत के विरुद्ध हो तो तुरंत ही उखाड़कर फेंक देना चाहिए । स्त्री पास में बैठे उससे पहले ही तुम्हें यह सुविधा कर लेनी चाहिए। वह विचार आए, तभी उसे
SR No.030109
Book TitleSamaz se Prapta Bramhacharya Purvardh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2014
Total Pages482
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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