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________________ १०८ समझ से प्राप्त ब्रह्मचर्य (पू) हमारे वचनबल से कई लोगों का रेग्युलर हो जाता है। हमारा वचनबल और आपका अडिग नक्कीपन, इन दोनों का ही अगर गुणा(मल्टीप्लीकेशन) हो जाए तो बीच में किसी की ताकत नहीं है कि उसे बदल सके! ऐसा है हमारा यह वचनबल। हम आपसे क्या कहते हैं कि 'आप अडिग हो जाओ, आप ढीले मत पड़ना।' आपका दृढ़ निश्चय होना चाहिए कि दादा की आज्ञा ही धर्म है और आज्ञा ही मुख्य चीज़ है। हम ब्रह्मचर्य व्रत हर किसी को नहीं देते हैं और अगर देते हैं तो भी हम कहते हैं कि 'हमारा वचनबल है, ज़बरदस्त वचनबल है। जो कर्म के उदय को बदल दे, ऐसा वचनबल है, लेकिन यदि तेरी स्थिरता नहीं टूटे तो।' तुझे बहुत मज़बूती रखनी चाहिए। ज्ञानी के वचनबल के अलावा अन्य कोई यह कार्य नहीं कर सकता, ज्ञानी का वचनबल इतना अधिक होता है! ज्ञानी का मनोबल अलग तरह का होता है क्योंकि ज्ञानी खुद वचन के मालिक नहीं हैं, मन के मालिक नहीं हैं। जो वचन के मालिक होते हैं, उनके वचन में बल ही नहीं होता। पूरा जगत् वचन का मालिक बनकर बैठा है, उनके वचन में बल नहीं होता। बल तो, अगर वाणी रिकॉर्ड की तरह निकले, तो वह वचनबल कहलाता है। हमारे वचनबल का काम ऐसा है कि सबकुछ पालन करने दे, सभी कर्मों को तोड़ दे! वचनबल में तो ग़ज़ब की शक्ति है कि काम निकाल दे! खुद यदि ज़रा भी नहीं डिगे तो कर्म उसे नहीं डिगा सकेंगे! यदि कर्म डिगा दे तो उसे वचनबल कहेंगे ही नहीं न? वीतरागों ने वचनबल और मनोबल को तो टॉपमोस्ट कहा है, जबकि देहबल को पाशवी बल कहा है! देहबल से लेनादेना नहीं है, वचनबल से लेना-देना है! प्रश्नकर्ता : मनोबल यानी क्या? ब्रह्मचर्य के लिए इस तरह पक्का हो जाए, डिगे नहीं, क्या उसे मनोबल कहते हैं ?
SR No.030109
Book TitleSamaz se Prapta Bramhacharya Purvardh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2014
Total Pages482
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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