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________________ किस समझ से विषय में... (खं-2-1) ८३ प्रश्नकर्ता : विचार तो मुझे ब्रह्मचर्य के ही आते हैं। दादाश्री : नहीं। वही कह रहा हूँ मतलब ब्रह्मचर्य के ही आते हैं ? नहीं! प्रश्नकर्ता : हाँ, हाँ। दादाश्री : अब्रह्मचर्य के विचार नहीं आते ? प्रश्नकर्ता : वह तो मुझे बहुत गंदा लगता है। दादाश्री : बहुत अच्छा। प्रश्नकर्ता : और मुझे इतना समझ में आ गया है कि यह जो जन्म हुआ है, वह इस विषय की गाँठ निकालने के लिए ही हुआ है। बाकी का सब तैयार ही है मेरा ! दादाश्री : तब तो बहुत अच्छा, तब तो समझदार है। मेरी पसंद की बात आई अब । बस, बस। मुझे पसंद आई यह बात । अब ऑलराइट। इससे बहुत संतोष हुआ मुझे ।
SR No.030109
Book TitleSamaz se Prapta Bramhacharya Purvardh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2014
Total Pages482
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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