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________________ किस समझ से विषय में... (खं-2-1) बेरी हो तो उसका बीज तो एक फांग की दूरी पर जाकर भी उग सकता है। उस बीज को हवा कहीं पर भी खींचकर ले जा सकती है, इसलिए हमें बेरी के नीचे ही नहीं, लेकिन आसपास की सभी जगह पर उगे हुए बीजों को उखाड़ देना चाहिए। बीज किसे कहते हैं? जब अन्य संयोग मिल जाएँ, तब पड़ा हुआ बीज उग निकलता है, उगते ही उसे उखाड़ देना चाहिए। दो प्रकार के विषय हैं, एक चार्ज और दूसरा डिस्चार्ज। चार्ज बीज को धो देना चाहिए। वास्तव में तो विचार आना ही नहीं चाहिए। ज्ञानीपुरुष को लक्ष्मी के और विषय के विचार ही नहीं आते, तो फिर बीज गिरने की और उगने की बात ही कहाँ रही? यदि आपको विचार आएँ तो आप उन्हें उखाड़ देना, तो फिर विचार नहीं उगेगे। एक-एक को ऐसे उखाड़ देना। यह तो अक्रम ज्ञान है, उससे अज्ञान चला गया, लेकिन पिछला माल है, इसलिए चेतावनी देनी पडती है। इन बीजों का स्वभाव कैसा है कि गिरते ही रहते हैं। आखें तो तरह तरह का देखती हैं, उससे अंदर बीज गिरते हैं तो फिर उन्हें उखाड़ देना चाहिए। होटल को देखने से खाने की इच्छा होती है न? उसके जैसा है। हमें तो मोक्ष में जाना है इसलिए सावधान रहना है। आखों से देखने पर अगर ज़रा सा भी आकर्षण होता है तो वह भयंकर रोग है, ऐसा समझना। जब तक बीज के रूप में है, तब तक उपाय है, बाद में कुछ नहीं हो सकता। चित्त आकृष्ट होता है, रास्ते चलते... प्रश्नकर्ता : यहाँ घर में बैठे हए हों तो चित्त इधर-उधर नहीं होता, लेकिन बाहर रास्ते पर ज़रा निकलें तो रास्ते तो स्त्री रहित होते नहीं और इस तरफ विषय की गाँठ फूटे बिना रहती नहीं। दादाश्री : और आपको बाहर निकले बिना चलेगा नहीं! बाहर कुछ लेने जाना पड़ता है, नौकरी-व्यापार के लिए जाना पड़ता
SR No.030109
Book TitleSamaz se Prapta Bramhacharya Purvardh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2014
Total Pages482
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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