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________________ के फलस्वरूप सब हो रहा है। आज तो उसे पछतावा हो रहा हो लेकिन कॉन्ट्रैक्ट हो चुका है, तो अब क्या हो सकता है? उसे पूरा किए बिना चारा ही नहीं है। सास बहू से लड़ रही हो, फिर भी बहू मज़े में हो और सास को ही भुगतना पड़े, तब भूल सास की है । जेठानी को उकसाकर आपको भुगतना पड़े तो वह आपकी भूल और बिना उकसाए भी वह देने आई, तो पिछले जन्म का कुछ हिसाब बाकी होगा, उसे चुकता किया। इस जगत् में बिना हिसाब के आँख से आँख भी नहीं मिलती, तो फिर बाकी सब बिना हिसाब के होता होगा? आपने जितना - जितना जिस किसीको दिया होगा, उतना-उतना आपको वापस मिलेगा, तब आप खुश होकर जमा कर लेना कि, हाश, अब मेरा हिसाब पूरा होगा । नहीं तो भूल करोगे तो फिर से भुगतना ही पड़ेगा। अपनी ही भूलों की मार पड़ रही है । जिसने पत्थर फेंका उसकी भूल नहीं है, जिसे पत्थर लगा उसकी भूल है! आपके इर्द-गिर्द के बालबच्चों की कैसी भी भूलें या दुष्कृत्य हों, लेकिन यदि उसका असर आप पर नहीं होता तो आपकी भूल नहीं है और अगर आप पर असर होता है तो वह आपकी ही भूल है, ऐसा निश्चित रूप से समझ लेना! ऐसा पृथक्करण तो करो भूल किसकी है? तब कहेंगे कि कौन भुगत रहा है, इसका पता लगाओ। नौकर के हाथों से दस गिलास टूट गए तो उसका असर घर के लोगों पर होगा या नहीं होगा? अब घर के लोगों में बच्चों को तो कुछ भुगतने का नहीं होता, लेकिन उनके माँ- बाप अकुलाते रहेंगे। उसमें भी माँ थोड़ी देर बाद आराम से सो जाएगी, लेकिन बाप हिसाब लगाता रहेगा, कि पचास रुपयों का नुकसान हुआ । वह ज़्यादा अलर्ट है, इसलिए ज़्यादा भुगतेगा।‘भुगते उसी की भूल' । वह इतना पृथक्करण करते-करते आगे बढ़ता चढ़ेगा, तो सीधा मोक्ष में पहुँच जाएगा। ५०
SR No.030102
Book TitleAatmsakshatkar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2013
Total Pages60
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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