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________________ हो, तो समझना कि पत्नी की भूल है। भुगते उसी की भूल'। पूरा जगत् निमित्त को ही काटने दौड़ता है। भगवान का क्या कानून? भगवान का कानून तो क्या कहता है कि जिस क्षेत्र में, जिस समय पर, जो भुगतता है, वह खुद ही गुनहगार है। किसीकी जेब कट जाए तो काटनेवाले के लिए तो आनंद की बात होगी, वह तो जलेबियाँ खा रहा होगा, होटल में चाय-पानी और नाश्ता कर रहा होगा और ठीक उसी समय जिसकी जेब कटी है, वह भुगत रहा होगा। इसलिए भुगतनेवाले की भूल। उसने पहले कभी चोरी की होगी, इसलिए आज पकड़ा गया और जेब काटनेवाला जब पकड़ा जाएगा, तब चोर कहलाएगा। पूरा जगत् सामनेवाले की गलती देखता है। भुगतता है खुद, लेकिन गलती सामनेवाले की देखता है। बल्कि इससे तो गुनाह दुगने होते जाते हैं और व्यवहार भी उलझता जाता है। यह बात समझ गए तो उलझन कम होती जाएगी। इस जगत् का नियम ऐसा है कि जो आँखों से दिखे, उसे भूल कहते हैं। जबकि कुदरत का नियम ऐसा है कि जो भुगत रहा है, उसी की भूल है। किसी को किंचित् मात्र दुःख नहीं दें और कोई हमें दुःख दे तो उसे जमा कर लें तो हमारे बही खाते का हिसाब पूरा हो जाएगा। किसी को नहीं देना, नया व्यापार शुरू नहीं करना और जो पुराना हो उसका समाधान कर लिया, यानी हिसाब चुक गया। उपकारी, कर्म से मुक्ति दिलानेवाले जगत् में किसी का दोष नहीं है, दोष निकालनेवाले का दोष है। जगत् में कोई दोषित है ही नहीं। सब अपने-अपने कर्मों के उदय से है। जो भी भुगत रहे हैं, वह आज का गुनाह नहीं है। पिछले जन्म के कर्म ४९
SR No.030102
Book TitleAatmsakshatkar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2013
Total Pages60
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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