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________________ ये जो दिखाई देते हैं, वे 'दादा भगवान' नहीं हैं। आपको, जो दिखाई देते हैं, उन्हें ही 'दादा भगवान' समझते होगे, है न? लेकिन यह दिखाई देनेवाले तो भादरण के पटेल हैं। मैं 'ज्ञानीपुरुष' हूँ और जो भीतर प्रकट हुए हैं, वे दादा भगवान हैं। मैं खुद भगवान नहीं हूँ। मेरे भीतर प्रकट हुए दादा भगवान को मैं भी नमस्कार करता हूँ। हमारा दादा भगवान के साथ जुदापन (भिन्नता) का ही व्यवहार है। लेकिन लोग ऐसा समझते हैं कि ये खुद ही दादा भगवान हैं। नहीं, खुद दादा भगवान कैसे हो सकते हैं? ये तो पटेल हैं, भादरण के। ___ (यह ज्ञान लेने के बाद) दादाजी की आज्ञा का पालन करना यानी वह 'ए.एम.पटेल' की आज्ञा नहीं है। खुद 'दादा भगवान' की, जो चौदह लोक के नाथ हैं, उनकी आज्ञा है। उसकी गारन्टी देता हूँ। यह तो मेरे माध्यम से यह सब बातें निकली हैं। इसलिए आपको उस आज्ञा का पालन करना है। 'मेरी आज्ञा' नहीं है, यह दादा भगवान की आज्ञा है। मैं भी उन भगवान की आज्ञा में रहता हूँ न! ८. क्रमिक मार्ग- अक्रम मार्ग मोक्ष में जाने के दो मार्ग हैं : एक 'क्रमिक मार्ग' और दूसरा ‘अक्रम' मार्ग। क्रमिक अर्थात् सीढ़ी दर सीढ़ी चढ़ना। जैसे क्रमिक में परिग्रह कम करते जाओगे, वैसे-वैसे वह आपको मोक्ष में पहुँचाएँगे, वह भी बहुत काल के बाद और यह अक्रम विज्ञान यानी क्या? सीढीयाँ नहीं चढनी है, लिफ्ट में बैठ जाना है और बारहवीं मंज़िल पर पहुँच जाना है, ऐसा यह लिफ्ट मार्ग निकला है। सीधे ही लिफ्ट में बैठकर, बीवी-बच्चों के साथ बेटे-बेटियों की शादी करवाकर, सभीकुछ करके मोक्ष में जाना। ये सभी करते हुए भी आपका मोक्ष नहीं जाएगा। ऐसा अक्रम मार्ग, अपवाद मार्ग भी कहलाता है। वह हर दस लाख वर्ष में प्रकट होता है। तो जो इस लिफ्ट मार्ग में बैठ जाएगा। उसका कल्याण हो जाएगा। मैं तो निमित्त हूँ। जो इस लिफ्ट में जो बैठ गए, उनका हल निकल आया न! हल तो निकालना ही होगा न? हम मोक्ष में जानेवाले ही हैं, उस लिफ्ट में बैठे होने का प्रमाण तो होना चाहिए १४
SR No.030102
Book TitleAatmsakshatkar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2013
Total Pages60
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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