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________________ [२.१३] नोकर्म ३१७ प्रश्नकर्ता : हर एक जगह पर? हर समय? हर चीज़ में, परिस्थिति वगैरह सभी कुछ ध्यान में रखना पड़ता है न! दादाश्री : लेकिन आपके लिए ऐसा नहीं है क्योंकि आप अक्रम विज्ञान में बैठे हो। इन क्रमिकवालों को तो हर एक चीज़ में ऐसा करना पड़ता है। अगर उन्होंने कहा कि आज वेढ़मी (गुजराती व्यंजन) अच्छी बनी है तो उन्हें चिपकेगा और कहा कि 'यह सब्जी खराब हैं तो वह भी उन्हें चिपकेगा। जबकि आप जब अच्छा-बुरा बोलते हो तो आपको नहीं चिपकता। प्रश्नकर्ता : हम तो बोलते ही नहीं हैं अब। दादाश्री : लेकिन अगर वे बोलें तो भी उनको हर्ज है। आपको नहीं चिपकेगा क्योंकि वह डिस्चार्ज है। डिस्चार्ज है, इसलिए जीवंत व्यक्ति का नहीं है यह। बेटरी में से सेल डिस्चार्ज होते रहते हैं तब उसमें क्या हमें कुछ करना पड़ता है? अंदर जो भरा हुआ होगा, उतने समय तक डिस्चार्ज होगा, फिर खाली हो जाएगा। प्रश्नकर्ता : निकाल हो गया उसका भी, ज्ञान लेने के बाद मेथड बदल गया। नहीं बोलने के नौ गुण। दादाश्री : हाँ, बोले तो भी 'देखना' है और नहीं बोले तब भी 'देखना' है और अगर कोई कहे कि आप कुछ भी नहीं बोल रहे हैं, तो वह भी 'हमें' 'देखना' है। नोकषाय की समझ नोकषाय, वह सापेक्ष शब्द है अर्थात् यदि 'तूने' ज्ञान लिया है तो ये कषाय तुझे नहीं छूएँगे और अगर ज्ञान प्राप्त नहीं किया है तो छूएँगे, अतः इन्हें सापेक्ष रूप से 'नो' कहा गया है। बहुत समझने जैसा है। इन वीतरागों का तो यदि एक भी वाक्य समझ ले न, तो मोक्ष में चला जाए। एक भी वाक्य यदि अंदर पच जाए तो मोक्ष में चला जाए। प्रश्नकर्ता : वहाँ पर नोकषाय का अर्थ ऐसा करते हैं कि जो कषाय नहीं है लेकिन कषाय जैसे हैं, कषाय करने में निमित्त रूप है।
SR No.030023
Book TitleAptavani Shreni 13 Purvarddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2015
Total Pages518
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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