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________________ [२.३] दर्शनावरण कर्म ऐसे बने ये दोनों (कर्म) इस मोमबत्ती में क्या-क्या चीजें हैं? वह बताता हूँ आपको। एक ज्ञानावरण कर्म है और दूसरा दर्शनावरण कर्म है। दर्शनावरण कर्म पूरी श्रद्धा ही बन चुकी है, 'दर्शन' ही हुआ है। दर्शन उल्टा हो गया है। आप हो तो सनातन और 'दर्शन' में जीवात्मा हो इसलिए ऐसा डर बैठ गया कि मर जाऊँगा। दर्शन बदल गया है। वह दर्शन का आवरण है, इसी वजह से तो हम इन आँखों से देखते हैं। प्रश्नकर्ता : दर्शनावरण का उदाहरण दीजिए न! दादाश्री : ऐसा है न, अगर चेहरे पर कपड़ा ढक दिया तो क्या आपको दादा दिख रहे हैं? प्रश्नकर्ता : नहीं दिख रहे हैं अब। दादाश्री : इसे दर्शनावरण कहते हैं। आँखें हैं फिर भी आवरण आ गया। यह आवरण हट जाएगा तो दिखेगा। इसे कहते हैं 'दर्शनावरण गया।' दर्शन आवरित हो गया। अब आँखों पर भी जब चक्षु आवरण आ जाए तब मोतियाबिंद हो जाता है, कुछ और हो जाता है। तरह तरह के आवरण हैं। ये आवरण ऐसे नहीं हैं कि इनका पता चले, लेकिन दर्शनावरण तो है ही। ____ बाकी और सब देखने की अनंत शक्ति है अंदर, दर्शन की, लेकिन आवरण है तो फिर क्या करे? इन आँखों से जितना दिखाई देता है, उतना
SR No.030023
Book TitleAptavani Shreni 13 Purvarddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2015
Total Pages518
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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