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________________ ३०४ आप्तवाणी-८ दर्शन बदला, आत्मा नहीं प्रश्नकर्ता : तो फिर आत्मा पर दूसरे तत्व असर कर सकते हैं? दादाश्री : करते ही हैं न! ये सब दूसरे तत्वों ने ही असर किया है न! जब यहाँ से खुद सिद्धक्षेत्र में जाता है कि जहाँ अन्य तत्व नहीं हैं, तब वहाँ उस पर कोई असर नहीं होता। जब तक दूसरे सभी तत्व हैं, तब तक असर होता रहता है। लेकिन 'ज्ञानीपुरुष' द्वारा उसे असर मुक्त कर दें, उसके बाद 'वह' मोक्ष में चला जाता है। फिर भी पूरे व्यवहारकाल में 'आत्मा' ज़रा-सा भी नहीं बिगड़ा है। सिर्फ, जो भ्रांति पड़ गई है, जो दर्शन उल्टा हो गया है, वह दर्शन 'ज्ञानीपुरुष' सीधा कर देते हैं, इसलिए 'वह' असरमुक्त हो जाता है और फिर मोक्ष में चला जाता है। अब यह दर्शन उल्टा किस तरह से हो गया है? उत्तर प्रदेश में जाएँ, तो वहाँ पर बंदर बहुत होते हैं। उन्हें पकड़ने के लिए ये लोग क्या करते हैं? एक सकड़े मुँह के घड़े में चने डालकर उसे पेड़ के नीचे रख आते हैं। उसके बाद चने लेने के लिए बंदर पेड़ पर से नीचे उतरते हैं और चने लेने के लिए घड़े में हाथ डालते हैं। वह चने लेते समय हाथ धीरे से दबाकर डालता है, लेकिन चने लिए और मुट्ठी बनाई, इसलिए फिर हाथ बाहर नहीं निकलता। फिर चीख-चिल्लाहट मचा देता है। फिर भी वह बंद मुट्ठी नहीं छोड़ता। वह क्या समझता है? कि मुझे अंदर से किसीने पकड़ लिया है, ऐसा उसे लगता है। जब अंदर हाथ डाला था, तब मैंने डाला था, लेकिन अब यह निकलता क्यों नहीं? तब उसे भ्रांति हो जाती है, आँटी (गाँठ पड़ जाए उस तरह से उलझा हुआ) पड़ जाती है कि 'किसीने मुझे पकड़ लिया', इसलिए चीख-चिल्लाहट मचा देता है, लेकिन मुट्ठी नहीं छोड़ता। उसी तरह ये लोग, पूरी दुनिया हो-हल्ला मचा देती है लेकिन मुट्ठी नहीं छोड़ती। निबेड़ा लाने का तरीक़ा अनोखा ऐसा है, यह दृष्टि तो कैसी है? ऐसे बैठे हों तो हमें एक ही लाइट के बदले दो लाइट दिखती हैं। आँख ज़रा ऐसी हो जाए तो दो दिखती
SR No.030019
Book TitleAptavani Shreni 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2012
Total Pages368
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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