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________________ आप्तवाणी-८ २३९ प्रत्यक्ष से लाभ उठा लो प्रश्नकर्ता : देहातीत स्थिति प्राप्त करने के लिए पुरुषार्थ कितना और ईश्वरकृपा कितनी ? दादाश्री : ईश्वर की कृपा तो सभी संयोग मिलवा देती है। जब ईश्वरकृपा हो, तब देहातीत दशा प्राप्त करने के लिए देहातीत पुरुष मिल जाएँ, तो वे देहातीत की प्राप्ति करवा देते हैं । फिर भी जो देहातीत हैं, वे सभी देहातीत की प्राप्ति नहीं करवा सकते। वह तो कभी-कभी ही जब वैसे ‘ज्ञानीपुरुष' अवतरित हों, तब वे ही हमें देहातीत बना सकते हैं। बाकी देहातीत बनना आसान नहीं है। प्रश्नकर्ता: देहातीत कि प्राप्ति के लिए ईश्वर की कृपा प्राप्त हो जाए, उसके लिए क्या पुरुषार्थ करना चाहिए और वह पुरुषार्थ कितना होना चाहिए? दादाश्री : यह पुरुषार्थ किया तभी तो आप मुझसे मिले हो । जो कुछ भी पुरुषार्थ किया होगा न, अच्छा पुरुषार्थ किया होगा न, तभी तो मिले हैं। अब मिलने के बाद आपको लाभ लेना आना चाहिए । यहाँ पर तो जो माँगो वह मिलता है, लेकिन आपको लेना आना चाहिए। लोग तो अपनी भाषा में ढूँढते हैं, उन्हें जैसा समझ में आए वैसा ढूँढते हैं। आप जिस देहातीत की प्राप्ति की बात कर रहे हो न, वह देहातीत दशा यहाँ पर प्राप्त हो सकती ।देहातीत जैसी कोई दशा है, लोगों को ऐसी ख़बर ही नहीं है न! देहातीत दशा ढूँढनेवाले कोई ही मनुष्य होंगे न, ऐसे लोग होते ही नहीं हैं न? समझ बिना क्या साधना करे ? प्रश्नकर्ता : लेकिन आत्मसाक्षात्कार तो बहुत सारी तपश्चर्या करने के बाद में, साधना के बाद में हो पाता है न? दादाश्री : नहीं, इतनी सारी तपश्चर्या, साधना करने के बाद भी वापस गधे का जन्म मिलता है ! क्योंकि दादर का स्टेशन आधा मील दूर था और तूने बाईस मील का चक्कर क्यों लगाया ? तूने तो रोड बिगाड़ी इसलिए
SR No.030019
Book TitleAptavani Shreni 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2012
Total Pages368
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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