SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 273
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २३४ आप्तवाणी-८ बदली बिलीफ़, 'वस्तु' संबंधी प्रश्नकर्ता : 'रियल' और 'रिलेटिव' क्या है? उन दोनों में क्या संबंध है? दादाश्री : सापेक्ष सारा विनाशी होता है। सापेक्ष को अंग्रेज़ी में 'रिलेटिव' कहते हैं। और 'ऑल दीज़ रिलेटिव्स आर टेम्परेरी एडजस्टमेन्टस एन्ड रियल इज़ द परमानेन्ट।' निरपेक्ष को 'परमानेन्ट' कहते हैं। सापेक्ष अर्थात् दूसरों पर आधारित है, दूसरों के आधार पर जी रहा है। यह अँधेरा है, तो उजाला है। वर्ना उजाले को उजाला कौन कहेगा? हमेशा उजाला रहे तो उसे उजाला कौन कहेगा? यानी कि अँधेरे की अपेक्षा से उजाला है। और अँधेरा किसके आधार पर है? उजाले की अपेक्षा से अँधेरा है, इसे सापेक्ष कहते हैं। जो किसीकी भी अपेक्षा (तुलना) से है, उसे सापेक्ष कहते हैं। और वह सापेक्ष टेम्परेरी होता है, बदलता ही रहता है। और जो ‘रियल' है, वह 'परमानेन्ट' वस्तु है। इस जगत् में छह वस्तुएँ 'परमानेन्ट' हैं। अब छह वस्तुओं में शुद्ध चेतन ‘परमानेन्ट' है और दूसरी अन्य जो वस्तुएँ हैं उनमें चेतनभाव नहीं है। फिर भी ये पाँचों ही 'परमानेन्ट' हैं और इनमें दूसरे अनंत प्रकार के गुणधर्म हैं। इन सबके गुणधर्मों के कारण यह 'रिलेटिव' भाव उत्पन्न हो गया है सिर्फ। आत्मा तो निरंतर आत्मा ही रहता है, निरंतर चेतन के रूप में ही रहता है। वह बदला नहीं है, क्षण भर के लिए भी बदला नहीं है। सिर्फ बिलीफ़ ही रोंग हो जाती है। ___जो आप हो उसकी बिलीफ़ नहीं है और जो आप नहीं हो, उसकी बिलीफ़ आपको बैठी है। ये सभी ‘रोंग बिलीफ़' हैं। और ये सभी बिलीफ़ 'रिलेटिव' हैं, नॉट 'रियल'। प्रश्नकर्ता : 'रियल' की स्टेज में जाने के लिए क्या करना चाहिए? दादाश्री : उसके लिए तो 'रियल' को 'रियलाइज़' करना चाहिए। हम यहाँ पर ज्ञान देते हैं, उसके बाद 'रियल' का 'रियलाइज़ेशन' हो जाता है।
SR No.030019
Book TitleAptavani Shreni 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2012
Total Pages368
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy