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________________ आप्तवाणी-८ प्रश्नकर्ता : मनुष्य में से पशु में वापस जाता है क्या, ऐसा प्रश्न है। दादाश्री : ऐसा है, पहले डार्विन की थ्योर से ऐसे उत्क्रांतिवाद के अनुसार ‘डेवलप’' होते-होते मनुष्य तक पहुँचता है, और मनुष्य में आया, तब फिर ‘इगोइज़म' साथ में होने से कर्ता बनता है। कर्म का कर्ता बनता है, इसलिए फिर कर्म के अनुसार उसे भोगने जाना पड़ता है। अगर डेबिट करे तब जानवर में जाना पड़ता है या फिर नर्कगति में जाना पड़ता है और क्रेडिट करे तब देवगति में जाना पड़ता है या फिर मनुष्य में राजसी जीवन मिलता है। यानी मनुष्य में आने के बाद में क्रेडिट और डेबिट पर आधारित है। I ८४ यहाँ पर क्रेडिट-डेबिट करनेवाले लोग हैं या नहीं? अभी लोग डेबिट ज़्यादा करते हैं न? उन्हें पता ही नहीं है कि कौन-से गाँव जाएँगे, लेकिन डेबिट कर देते हैं न? इसलिए फिर दो पैरों की बजाय चार पैर और पूंछ मिलती है! लेकिन फिर वापस यहाँ पर मनुष्य में आ जाता है, फिर अधिक नीचे नहीं उतरता । एक बार मनुष्ययोनि में आने के बाद सौ साल-दो सौ साल (तक अन्य योनि) भोगकर फिर वापस यहाँ मनुष्य योनि में ही आ जाता है । फिर यह स्थान, मनुष्यपन छोड़ता नहीं है । यहाँ से फिर मोक्ष में जाने तक उसका मनुष्यपन जाता नहीं है । अगर डेबिट हो तो सौ-दो सौ साल जानवर में जाकर आता है, लाखों वर्ष नर्कगति में जाकर आता है या फिर अगर क्रेडिट हो तो लाखों वर्ष देवगति में जाकर आता है। लेकिन वहाँ का भुगतान पूरा हुआ कि वापस यहीं के यहीं । यहाँ से जब मोक्ष में जाने की तैयारी करेगा तब मोक्ष में जाएगा, तब तक इसी तरह भटकते रहना है । I प्रश्नकर्ता : जब मनुष्ययोनि में आता है तब उसका मन भी ‘डेवलप' हो चुका होता है, तो जब वह वापस जानवरयोनि में जाता है, तब वापस मन का डेवलपमेन्ट खो देता है? दादाश्री : नहीं। लेकिन उस मन पर आवरण आ जाता है । वहाँ जानवरगति में उसमें मन होता है, लेकिन वह 'लिमिटेड' रहता है, फिर
SR No.030019
Book TitleAptavani Shreni 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2012
Total Pages368
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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