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________________ आप्तवाणी-८ ६९ प्रश्नकर्ता : या तो एक जीव कम हो जाए, या फिर एक जीव बढ़ जाए, तो क्या होगा? दादाश्री : कुदरत का पूरा प्लानिंग ही टूट जाएगा! यह सूर्य आज ग़ैरहाज़िर हो गया हो तो कल चंद्र ग़ैरहाज़िर हो जाएगा, या फिर कितने ही तारे भी नहीं होंगे, फिर किसी दिन कोई ग्रह नहीं होगा। क्योंकि कहेंगे, ‘वे तो मोक्ष में गए', तो यहाँ पर घोर अँधेरा छा जाएगा! यानी एक जीव भी कम-ज़्यादा हो जाए तो पूरा प्लानिंग ही टूट जाएगा, लेकिन यह तो पूरा डिज़ाइन, सबकुछ एक्ज़ेक्ट रहनेवाला है । सूर्य-चंद्र-तारे अभी तो अरबों वर्ष बाद भी ऐसे के ऐसे ही दिखेंगे। वही का वही शनि ग्रह और वही का वही शुक्र ग्रह, लेकिन अंदर से जीव बदलते रहते हैं। सिर्फ पैकिंग वही की वही रहती है, बिंब वही रहते हैं, और अंदरवाला जीव च्यवित होकर दूसरी जगह पर जाता है । सूर्यनारायण का भी च्यवन होता है और दूसरे जीवों का भी च्यवन होता है। लेकिन वे जब च्यवन होकर जाते हैं, उसी घड़ी दूसरा जीव वहाँ पर उनकी जगह पर आ जाता है। इसीका नाम ‘व्यवस्थित' ! यह कैसी सुंदर व्यवस्था है !! तीन बजकर तीन मिनट पर वह जीव वहाँ पर आ जाता है, उसी घड़ी पहलेवाले जीव का निकलना होता है। हाँ, नहीं तो हमें पता चल जाएगा कि ऐसा 'अँधेरा' क्यों हो गया? लेकिन ऐसा कुछ होता नहीं है। यानी एक भी जीव कम - ज़्यादा नहीं होता और सभी जीव अपनी-अपनी सर्विस में ही रहेंगे ! जितने जीव यहाँ से मोक्ष में जाते हैं, उतने ही जीव अव्यवहार राशि में से व्यवहार में आ जाते हैं। तो उससे व्यवहार में कमी या बढ़ोतरी नहीं होती, व्यवहार उतना और वैसा ही रहता है । इसलिए किसीको चिंता नहीं करनी चाहिए कि शायद कभी इस तरह के फल खत्म हो जाएँगे तो क्या करेंगे? ये कुछ तरह के फल वगैरह खत्म हो जाते हैं तो दूसरी तरह के उत्पन्न हो जाते हैं, लेकिन यह व्यवहार तो ठेठ तक रहेगा ही । प्रश्नकर्ता : ऐसा कहते हैं कि आत्मा निगोद में से आते हैं। पहले सभी आत्मा निगोद में होते हैं, तो निगोद का मतलब क्या है?
SR No.030019
Book TitleAptavani Shreni 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2012
Total Pages368
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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