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________________ १६ आप्तवाणी 6 प्रश्नकर्ता : वही करते हैं न? दादाश्री : तो फिर महावीर की उपासना बंद हो गई और यह उपासना शुरू हो गई, ऐसा न ? मनुष्य एक ही जगह पर उपासना कर सकता है, या तो पैसों की उपासना कर सकता है या फिर आत्मा की। दो जगह पर एक व्यक्ति का उपयोग नहीं रह सकता। दो जगह पर उपयोग कैसे रहेगा? एक ही जगह पर उपयोग रहता है, तो अब क्या हो? लेकिन इतना अच्छा है कि अभी मनुष्य को पैसा साथ में ले जाने की छूट दी है। वह अच्छा है न? प्रश्नकर्ता : पैसे कहाँ साथ में ले जाते हैं? सब यहीं पर रखकर तो जाते हैं, कुछ भी साथ में नहीं आता। दादाश्री : ऐसा ! लेकिन साथ में ले जाते हैं न? नहीं, आप वह कला नहीं जानते ( !) वह कला तो उन ब्लडप्रेशरवाले को पूछकर देखना कि इसकी कला कैसी है? वह आप नहीं जानते। एक सेठ मिले थे, यों तो वैसे लखपति थे। मुझसे पंद्रह साल बड़े, लेकिन मेरे साथ बैठते - उठते थे। उस सेठ से एक दिन मैंने कहा कि, 'सेठ, ये बच्चे, सब कोट- पेन्ट पहनकर घूमते हैं और आप यह इतनी सी धोती और दोनों घुटनें खुले दिखें, ऐसा क्यों पहनते हो?' वे सेठ जिनालय में दर्शन करने जाते थे न, तो ऐसे खुले बदन दिखते थे। इतनी सी धोती, जैसे लंगोटी लपेटकर जा रहे हों, ऐसा लगता था । इतना सा बनियान और सफेद टोपी, और दौड़धाम करते हुए दर्शन करने जाते थे। मैंने कहा कि, 'मुझे लगता है कि यह सब साथ में ले जाओगे ।' तब मुझे कहने लगे कि, 'नहीं ले जा सकते अंबालालभाई ! साथ में नहीं ले जा सकते।' मैंने कहा कि, 'आप तो अक़्लवाले, हम पटेलों को तो समझ नहीं है लेकिन आप तो अक़्लवाली कौम । कुछ ढूँढ निकाला होगा!' तो कहने लगे कि, 'नहीं, किसी से भी नहीं ले जाया जा सकता । ' बाद में उनके बेटे से पूछा कि, 'पिता जी तो ऐसा कह रहे थे । '
SR No.030018
Book TitleAptavani Shreni 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2013
Total Pages350
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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