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________________ [१७] जेब कटी? वहाँ समाधान! जेब कटी, वहाँ हकीकत क्या है? कुदरत हमेशा न्यायी रही है। इस जगत् में एक क्षणभर भी इस कुदरत ने अन्याय नहीं किया है। इन कोर्टों में अन्याय हो सकता है, लेकिन इसमें अन्याय नहीं हो सकता। इसलिए अभी बड़े लोग लूटते हैं, वह भी ठीक है। लोग काला बाज़ारी करते हैं, वह भी ठीक है। काला बाज़ार में ऐसा होगा, वह भी ठीक है। उसका परिणाम ऐसा आएगा, वह भी ठीक है। अतः कुदरत सबकुछ नियमपूर्वक ही करती है। एक्जेक्ट नियमपूर्वक ही करती है। नियम से बाहर नहीं जाती। यह कुदरत अन्यायी नहीं हुई है, एक क्षणभर भी! प्रश्नकर्ता : यानी अभी जो भुगत रहा है, वही बाद में पाएगा, ऐसा? दादाश्री : ऐसा नहीं है। भुगते या नहीं भुगते, कुदरत दंड देती ही रहती है। जिसकी जेब कटी है, उसे जगत् के लोग आश्वासन देते हैं कि, 'लो, चाय पीओ, ऐसा करो, वैसा करो, ऐसा है, वैसा है।' अब कुदरत क्या कहती है? जिसकी जेब कटी वही गुनहगार है, वह आज पकड़ में आ गया। दो लोग साथ में बैठे थे, तो इसी की जेब क्यों कटी? यानी पहले जो किया था, उसका आज फल आया है। वह चोर तो जब पकड़ा जाएगा, तब गुनहगार कहलाएगा। अभी तो वह जलेबी खा रहा है और जिसकी जेब
SR No.030018
Book TitleAptavani Shreni 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2013
Total Pages350
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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