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________________ २५० आप्तवाणी-७ अंत में भगवान और कुदरत, ईमानदार की तरफ ही खड़े रहते प्रश्नकर्ता : गवर्नमेन्ट की बड़ी पोस्ट पर हमारे नीचेवाला जब बहुत उल्टा करने लगें, तब हम निश्चित करते हैं कि इनके सामने कोई कदम उठाएँ और उसे डिसमिस कर दें। दादाश्री : डिसमिस मत करना। हमें उसे इन्फोर्मेशन देनी चाहिए कि, 'भाई, ऐसा नहीं होना चाहिए।' वर्ना आपका यह गवर्नमेन्ट का विभाग है, इसलिए डिसमिस तो करना ही मत। आपके ऊपर आपको कोई डिसमिस करनेवाला है या नहीं? प्रश्नकर्ता : है न! दादाश्री : तो फिर डिसमिस करने के ऐसे जोखिम तो लेने ही नहीं चाहिए। आपके ऊपरी ऑफिसर ने कहा हो, फिर भी आपको नरम कर देना चाहिए अंत में झूठ बोलकर भी नरम कर देना। आपके खुद के डिसमिस होने की बात आए, तो आप पर खुद पर वह डिसमिस शब्द सुनते ही बहुत अधिक असर हो जाएगा न? प्रश्नकर्ता : होगा न! सभी को होता है। दादाश्री : तब उस बेचारे पर कितना अधिक असर होगा? इस जगत् में किसी को भी दु:ख किसलिए देना है? आप नियमपूर्वक रहो, नियमों में निकलने के सभी रास्ते होते हैं। और माइल्ड भाषा होती है या नहीं होती? आप तो ऐसा कहना कि, 'आपको डिसमिस क्यों नहीं करें, उसका एक्सप्लेनेशन दो।' और 'मैं आपको डिसमिस कर दूंगा।' इन दोनों वाक्यों में क्या फर्क नहीं है? इसलिए माइल्ड भाषा का उपयोग करना चाहिए। यानी यह तो हमारी ज़िम्मेदारी है, बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी है कि भले ही अपने हाथ से गलत हो, लेकिन किसी को जीवित जाने देना, किसी की नौकरी या पेट पर लात मत मारना।
SR No.030018
Book TitleAptavani Shreni 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2013
Total Pages350
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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